Friday 11 September 2015

यकृत वृदिध (Enlargement of liver) - कारण और उपचार

परिचय-

पित्त कारक पदार्थो के अत्यधिक सेवन करने से एवम एक्युट हिपेटाईसिस के बाद यकृत की वृदिध हो जाती है,इसे जिगर का बढना भी कहते है.

कारण - 

1.अत्यधिक मशालेदार पदार्थो का सेवन

2.शराब का अधिक मात्रा मे सेवन

3.शरीर मे गर्मी का अधिक मात्रा मे होना

4.अधिक मात्रा मे आराम तलबी का जीवन बिताने पर शरीर मे पित्त की मात्रा बढ जाती है

5. विषैली औषधियो जैसे- संखिया,नाग,स्वर्ण,फास्फोरस,आदि का  अधिक तथा दीर्घकाल तक सेवन करते रहने से.

6.सभी प्रकार के संक्रमण बुखार मे लिवर बढ जाता है

7.लिवर मे एब्सेस होने से

8. पित्त की थैली मे पथरी होने से

9. मधुमेह,संधिवात,उपदंश आदि जीर्ण रोगो मे

10. पित्तप्रणाली का अवरोध होने के कारण यकृत की वृदिध हो जाती है

लक्षण-

1.पेट मे दाहिनी तरफ भारीपन लगना

2.रूक रूक कर तीर जैसा चुभने वाला दर्द

3.रोगी की भूख मारी जाती है

4.अजीर्ण तथा बदहजमी का लक्षण रहता है

5.जिव्हा मे लेप सा चढा रहता है

6.मुँह का स्वाद कडुआ सा रहता है

7.कभी कब्ज रहता है कभी दस्त लगते है

8.रोगी को कभी कभी बुखार रहता है

9.रोगी की आंखे पीली रहती है

10.यदि यकृत उपरकी ओर बढता है तो कंधे की हड्डी मे पीडा होती है तथा नीचे की ओर बढता हैतो पेट मे दर्द होता है

उपचार-

1.रोग के मूल कारण को दुर करना ही इसकी उचित चिकित्सा है

2.आहार -विहार तथा स्वास्थ्यके नियमो का कडाई से पालन करना चाहिये

3.रोगी को कब्ज से बचाने के लिये उचित मृदु  विरेचन देना चाहिये

4.रोगी को दीपन पाचन औषधि देनी चाहिये

5.रोगी को कच्चे पपीते का साग तथा पका पपीता खाने को देना चाहिये

6.रोगी को विश्राम देना चाहिये

7.लिवर पर गरम सेंक करना चाहिये

8.यदि रोगी को बुखार हो तो साबूदाना तथा आरारोट का सेवन कराना चाहिये

सावधानी - 

रोगी का समय पर सही उपचार करा लेना चाहिये तथा किसी चिकित्सक के परामर्श से इलाज लेना  चाहिये, वरना

यह रोग घातक परिणामो की ओर लेजाता है इस रोग का सही इलाज ना होने पर कामला , सिरोसिस ओफ

लिवर आदि रोग हो सकते है

No comments:

Post a Comment