Monday 16 March 2015

सर्दी,जुकाम,खांसी का घरेलु उपचार(Cold fever tretment in home)

जब मौसम बदलता है तब, या फिर किसी अनुचित आहार-विहार से कभी-कभी सर्दी,जुकाम,खांसी रोग  हो जाता है वैसे तो सभी रोगो का उपचार किसी योग्य चिकित्सक द्वारा ही कराना चाहिये लेकिन यदि चिकित्सक को दिखाना सम्भव ना हो तो घरेलु उपचार का सहारा लेना चाहिये,दो घरेलु उपचार जन कल्याण के लिये यहाँ लिख रहा हुँ प्रयोग करे तथा निरोग रहे -
नुस्खा इस प्रकार है-(1)
अदरक का रस-2मिली
तुलसी का रस -1मिली.
शहद - 5मिली.
इन सबको मिलाकर प्रत्येक 5 घन्टे पर ले,उपर से गुनगुना पानी ले, 24 से48 घंटे मे सर्दी जुकाम ठीक हो जाता है अथवा ---(2)
देसी घी 10ग्राम
अदरक का रस 2मिली.
3 नग काली मिर्च
गुड 5 ग्राम
इन सब को मिलाकर पकाकर खाली पेट सुबह लगातार तीन दिनो तक ले, अन्य किसी दवा की आवश्यकता नही पडेगी,

दाद,खाज,खुजली का उपचार

दाद,खाज,खुजली अक्सर ज्यादा गीले मे रहने से या लगातार गीले कपडे पहनने से हो जाती है खुन की खराबी से भी यह रोग हो जाता है इस रोग का जनकल्याण के लिये एक घरेलू उपचार लिख रहा हू प्रयोग करे,फायदा हो तो लोगो को भी बताये यदि रोग ज्यादा फैला हुआ हो तो किसी योग्य चिकित्सक को दिखाये या फिर मुझे  ई-मैल करे ...
नुस्खा इस प्रकार है---
मूली के बीज पानी मे महीन पीस कर,आगपर खूब गरम करके दाद,खाज,खुजली पर लगाने चाहिये,प्रथम दिन तोमूली के बीज लगाने से खूब जलन होगी और कष्ट भी होगा,परंतु ध्यान रहे दवा जितनी जोरो से लगेगी उतना अधिक लाभ होगा, दुसरे दिन भी यही प्रयोग करे,प्रथम दिन की अपेक्षा दुसरे दिन दवा लगाने से कम कष्ट होगा ,इसी प्रकार यह उपचार 3-4 दिन करे,इससे दाद,खाज,खुजली दूर हो जाती है

Sunday 15 March 2015

पानी भी एक दवा है...शायद "अमृत"(Water Therapy)

            हमारे शास्त्रो मे लिखा है- "अजीर्णे भेषजम वारि, जीर्णे वारि बलप्रदम" अर्थात अजीर्ण मे पानी दवा का काम करता है और भोजन पचने के बाद पानी  पीने से शरीर मे बल होता है,बहुत से रोगो मे यह दवा का काम करता है,ठंडे और गरम जल मे अलग-अलग औषधीय गुण होते है कई रोगो मे ठंडा पानी और कई रोगो मे गरम पानी दवा का काम करता है
            जब कभी किसी को आप आग से जलने या झुलसने से आक्रांत देंखे ,तुरंत उसके जले झुलसे अंग को ठंडे पानी मे कम से कम एक घंटा डुबोकर रखे -उसे परम शांति मिलेगी ,जलन दूर होगी और घाव का फफोला नही होगा ,यदि पुरा शरीर जल जाय तो तुरंत उसको बडे पानी के होज मे या तालाब मे डुबो दे श्वास लेने के लिये नाक को बाहर रखे जला -झुलसा अंग एक दो घंटे पानी मे डुबा रहे, यह याद रखे कि उस पर पानी छिडके नही बल्कि डुबाकर ही रखे मात्र पानी छिडकने से हानि हो सकती है पानी मे डुबोकर रखना ही कारगर इलाज है,बहुतो को ऐसा भ्रम है कि पानी मे डुबोने से घाव बढेंगे,सच्ची बात यह है कि जले अंग पर पानी छिडकने से या बाल्टी भर कर उडेलने से घाव बढ जाते है जबकि पानी मे डुबोकर रखने से घाव बनेंगे ही नही,सामान्यतया यह संभव नही है यह केवल प्राकृतिक चिकित्सालयो मे ही संभव हो सकता है,
             इसी तरह जब किसी को मोच आ जाये या चोट लग जाये तो तुरंत उस स्थान पर खूब ठंडे पानी की पट्टी लगा दे -बर्फ भी लगा सकते है ,इससे ना तो सुजन होगी ,न ही दर्द बढेगा, गरम पानी की पट्टी लगायेंगे या गरम पानी से सेंक करेंगे तो सुजन आ जायेगी और दर्द बढ जायेगा, यदि चोट लगने या कटने से खून आ जाये तो वहाँ बर्फ या खूब ठंडे पानी की पट्टी चढा दे, आराम होगा,
             गरम पानी का लाभ वात रोगो-जोडो के दर्द,कमर का दर्द,घुटनेका दर्द, गठिया,कंधे की जकडनमे होता है,इसमे गरम पानी का या भाप का सेंक दिया जाता है
              इंजेक्शन लगाने के बाद यदि सुजन आ जाये या दर्द हो जाय तो ठंडे पानी की पट्टी या बर्फ लगाये,वहाँ गरम पानी का सेंक नही करे,
               यदि रात मे नींद ना आती हो तो सोने के पहले दोनो पैरो को घुटनो तक सहने योग्य गरम पानी से भी बाल्टी या टब मे पंद्रह मिनट डुबोये रखे- इसके बाद पैरो को बाहर निकाल कर पोंछ ले और सो जाये,नींद आयेगी यह ध्यान रखे कि जब गरम पानी मे पैर डुबोये तब सिर पर ठंडे पानी मे भिगोकर निचोडा हुआ तौलिया अवश्य रखे,
               अस्पतालो मे दिया जाने वाला सेलाइन एक तरह का नमकीन पानी ही है बच्चो मे डायरिया होने पर दिया जाने वाला ओ आर एस भी पानी की कमी पुर्ति के लिये ही पिलाने की सलाह दी जाती है पानी की कमी से मृत्यु तक हो सकती है
               आयुर्वेद मे जल का बहुत ही विस्तृत वर्णन किया गया है-गुण कारक जल वह होता है जो गंध रहित, स्वादरहित,अत्यंत शीतल,तृष्णा शमन करने वाला,स्वच्छ ,लघु  होता है, इन गुणो से अतिरिक्त हानिकारक होता है
               आयुर्वेद ग्रंथ भावप्रकाश मे जल के अनेक प्रकार,प्राप्तिस्थान एवम स्वरूप भेद बताये है सामान्यतः जल परिश्रम नाशक, ग्लानिकारक,बल्य,तृप्तिकारक,हृदय को प्रिय लगने वाला, हितकारी, शीतल,हल्का, पिपासा, तंद्रा,एवम वमन नाशक होते हुये दैनिक जीवन मे अत्यावश्यक है
               जीवन मे जितनी आवश्यकता भोजन की है उससे अधिक आवश्यक तत्व जल है यह पंच महाभूतो मे से एक महाभूत है, इसके सन्योग के बिना किसी भी प्राणी की उत्पत्ति नही हो सकती और न ही कोई प्राणी जीवित रह सकता है अतः "अमृत" कहा गया है              


Friday 13 March 2015

AYURVED ALSO EFFECTIVE-आयुर्वेद भी कारगर है.....!

मै देखता हुँ कि ज्यादातर लोग रोजाना ढेरो दवाओ का सेवन करते है जिसमे ज्यादातर रक्तचाप,मधुमेह,नींद, एसीडिटी,आदि रोगो की दवा प्रमुख रूप से होती है इन रोगो की दवा के लिये अधिकतर लोग अंग्रेजी दवा का ही सेवन करते है तथा इस पैथी के चिकित्सक कभी भी यह दावा नही करते कि इन रोगो की जो दवा  दे रहे है वह पुर्ण कारगर है अथवा इस दवा से यह रोग ठीक हो जायेगा बस दवा चालू रखने के लिये कहते है चाहे जिंदगी निकल जाये लेकिन दवा बंद नही होती..
लेकिन आयुर्वेद मे ऐसा नही है आयुर्वेद मे जितनी भी दवा है वे पुर्ण कारगर होती है यह बात चिकित्सक प्रत्येक मरीज से कहता है और दावा भी करता है लेकिन लोग इस बात पर कम ही विश्वास करते है और दवा नही लेते तथा साथ ही आयुर्वेद का मजाक भी उडाते है कि फलाँ वैद्ध्य जी ने रोग ठीक करने का दावा किया था लेकिन मुझे तो जब तक दवा ली तब तक फर्क पडा फिर ज्यो का त्यो रोग वापिस हो गया..
चिकित्सा करवाना और करना दोनो ही जिम्मेदारी का काम है इसमे यदि एक भी अपनी जिम्मेदारी ढंग से नही निभाये तो कार्य पुर्ण होने मे संदेह रहता है आयुर्वेद मे चिकित्सा के चार पाद( four leg)बताये गये है
चिकित्सक,औषधि,परिचारक, और रोगी इन चारो का अपना -अपना कर्तव्य बताया गया  है इनका जिक्र फिर कभी करेंगे आज बात करते है कि किन -किन रोगो मे आयुर्वेद चिकित्सा भी कारगर होती है इस ब्लोग मे हमेशा स्वस्थ रहने की ही बात होती है मै सदैव यह प्रयास करता हुँ कि इस ब्लोग को पढने वाले किसी गलत चिकित्सा के फेर ना पड जाये इस लिये इस पोस्ट के माध्यम से मै यह बताना चाह रहा हुँ कि जिस तरह हम अंग्रेजी दवा सेवन करते है उसी तरह आयुर्वेद की दवा भी सेवन करे लेकिन अमुमन पब्लिक क्या करती है कि जब आयुर्वेद चिकित्सक के पास जाते है तो रोग को पुर्ण रूप से ठीक करने की गारंटी मांगते है जबकि ऐसा नही होना चाहिये रोग ठीक होगा लेकिन ठोडा समय तो लगता ही है....
इन रोगो मे भी आयुर्वेद चिकित्सा  कारगर  है ---
(1)रक्तचाप-- रक्तचाप दो प्रकार का होता है निम्न और उच्च, इन दोनो प्रकार के रक्तचाप मे आयुर्वेद की दवा कारगर है यदि नियमित रूप से आयुर्वेदिक दवा का सेवन किया जाये तो रोग ठीक होने की सम्भावनाये भी बढती है साथ ही किसी भी प्रकार के साईड इफेक्ट का खतरा नही होता .इसी प्रकार और भी कई रोग है जिन्हे आधुनिक चिकित्सा शास्त्र ने लाईलाज बता दिया और जिंदगी भर दवा खाने के लिये कह दिया उन रोगो मे भी आयुर्वेद की दवा नियमित सेवन करना ज्यादा फायदे मंद है
(2)मधुमेह- यह रोग भी एकबार होने के बाद नियमित दवा लेने के लिये बाध्य करता है इस रोग मे भी नियमित रूप से आयुर्वेद की दवा लेने से रोग पर काबु पाया जा सकता है इसे पुर्णतया ठीक करना लोहे के चने चबाने जैसा है फिर भी यदि आयुर्वेद के साथ -साथ यदि योग का सहारा भी लिया जाये तो अच्छा रहता है दवा यदि जिन्दगी भर लेनी है तो आयुर्वेद को अपनाना चाहिये
(3)एसीडीटी- यह एक आधुनिक युग का दावानल है जो इस तन रूपी वन को जलाने के लिये रोजाना तैयार रहता है इस रोग मे भी  आयुर्वेद चिकित्सा कारगर हो सकती है
(4)अनिद्रा- यह रोग भी एक अवांछित रूप से पैदा किया गया रोग है जो कुछ तो अनियमित दिनचर्या के कारण उत्पन्न हो रहा है तथा कुछ अंग्रेजी दवाओ के साईड इफेक्ट से ... इस रोग मे भी आयुर्वेद कारगर हो सकता है
यह सब रोग प्रत्येक जगह मिल जाते है हर घर मे इन रोगो से पिडित कोई ना कोई तो होता ही है अतः यदि ऐसी किसी बिमारी से यदि आप के आस-पास कोई है तो उसे आयुर्वेद चिकित्सा लेने के लिये सजेस्ट करने की कोशिश करे और किसी योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के पास सलाह लेने के लिये कहे...
यह पोस्ट एक सुझाव के लिये है किसी भी रोग की चिकित्सा के लिये अपने योग्य चिकित्सक की सलाह को ही माने......इति