Friday 16 June 2017

योग से लाभ

योग हमारे जीवन का एक भाग होना चाहिए । योग एक ऐसी क्रिया है जिससे हम स्वस्थ तो रहते ही है साथ ही साथ सकारात्मक भी रहते है । यह योग आयुर्वेद चिकित्सा का ही एक हिस्सा है । जिस प्रकार हम नियमित रूप से आयुर्वेद को जीवन में उतार चुके है उसी प्रकार अब योग को भी जीवन में उतार लेने से हमारा जीवन सुखमय बन जाएगा ।

योग से क्या लाभ होता है ?
जब हम योग को जानने लगते है तब हमें आभास होता है कि हमारा जीवन कितना अनमोल है कितना सुन्दर है और यह प्रकृति कितनी सुन्दर है ।
यह सब आभास होते ही मन में एक सकारात्मकता आ जाती है । अतः यह कहा जा सकता है कि योग से जीवन सकारात्मक होता है । किसी भी प्रकार की कोई शिकायत जीवन में किसी के प्रति भी नही रहती है । आत्महत्या जैसे भयानक कदम उठाने से बचा जा सकता है । नियमित योग करने से जीवन सुन्दर बन जाता है ।
योग को जान लेना और फिर सभी प्रकार के आसनो का अभ्यास करने से शरीर मजबूत होता है । शारीरिक क्षमता बढ़ती है । मन प्रशन्न रहता है कार्य करने की इच्छा बढ़ जाती है । इसी प्रकार योग हमे शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है ।
योग के आठ अंगो में एक अंग ध्यान है नियमित रूप से ध्यान का अभ्यास करने से शरीर की सभी क्रिया एक रूप हो जाती है एकाग्रता बढ़ जाती है जिससे बुद्धि और स्मृति की वृद्धि हो जाती है । जिन लोगो को भूलने की आदत हो या जिन लोगो को नींद नही आती हो ऐसे लोगो को यह योग अवश्य करना चाहिए । विद्यार्थियों को भी यह अभ्यास करना चाहिए ।
योग से हम धन सम्पन्न भी हो सकते है । कैसे ??
हम यदि नियमित योग करते है तो हम बीमार नही होंगे । यदि बीमार नही होंगे तो जो धन दवा के लिए खर्च होता था वह बच जायेगा । साथ ही योग से कार्य क्षमता भी बढ़ जाती है । अतः ज्यादा काम करने से ज्यादा धन आएगा । योग से स्किल डवलपमेंट भी होता है । अपने अंदर की जो कार्य कुशलता है उसका विकाश होगा उससे भी हमे धन की प्राप्ति होगी । इसलिए कह सकते है कि योग से धन सम्पन्न बना जा सकता है ।
योग करने से समाज में प्रतिष्ठा बढ़ जाती है । क्योंकि योग से चरित्र का निर्माण होता है । और चरित्रवान व्यक्ति सभी जगह पूजनीय होता है ।
योग से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है
जीवन का लक्ष्य मोक्ष है और जब हम पूर्णतः योग से जुड़ जाते है तो सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त होते जाते है और सभी प्रकार के डर भय भी समाप्त हो जाते है ।यह अवस्था ही है जो गीता में लिखे श्लोक को सार्थक करती है "निर्भयम सत्त्वं संशुद्धि" और शायद  इसी को ही मोक्ष कहते है ।

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