Thursday 9 June 2016

योग कैसे करे ? समस्याये yoga kaise kare? samasyaye

योग कैसे करे ? समस्याये yoga kaise kare? samasyaye

आजकल चारो तरफ योग की ही बाते होती है, जहाँ भी जाओ कोई ना कोई तो योग की चर्चा करता हुआ मिल ही जायेगा, हम यदि किसी बिमारी का जिक्र करते है तो तत्काल सलाह मिल जाती है कि योग करो सब ठीक हो जायेगा, बाते सुन कर मन मे भी योग के बारे मे जानने की और योग करने की इच्छा जागृत होने लगती है इंटर्नेट मे सर्च करके योग के बारे मे जान भी लेते है जब जानते है तो पता चलता है कि जो हम करना चाहते है,जिसको लोग योग कह रहे है जिसके बारे मे आम आदमी समझता है वह तो आसन है और  वह योग का एक हिस्सा है योग के आठ अंग है उनमे से एक है आसन, जब पुरी बात समझ मे आती है कि इसके  आठ अंग है जो इस प्रकार है – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ,ध्यान और समाधि , फिर इनमे भी पांच प्रकार के यम ,पांच प्रकार के नियम , सैंकडो प्रकार के आसन , कई प्रकार के प्राणायाम अनुलोम-विलोम,भ्रष्त्रिका-भ्रामरी , इतना सब झमेला देखकर पढकर मन मे फिर पुराने विचार आते है , कि अपना तो जो चल रहा था वही ठीक है, कभी कभी घुमने निकल जायेंगे, कभी हाथ पैर हिला लेंगे कभी कभी बच्चो के साथ खेल लेंगे अपना तो हो गया व्यायाम और बोडी भी फिट हो जायेगी,

ये बाते आजकल अमुमन हो गई है , हालाकि आजकल योग और आसन सिखाने वाले बहुत है लेकिन मोटी फीस और समय का अभाव यह सब करने को हमे तैयार नही होने देता है , बाजार मे सीडी भी आसानी से मिल जाती है, हम भी किसी पर्फेक्ट योग गुरू की  एक सीडी ले आते है उसे देख देखकर योग करने लग जाते है लेकिन उसके जैसा नही हो पाता है फिर कोई गुमराह दोस्त मिल जाता है और कहता है – ये योगासन को गलत तरीके से करने से शरीर खराब हो जाता है, फिर  से नेगेटिव विचार आते है और योग और आसन नही करने का विचार स्थिर हो जाता है, और हम झुंझला कर एक ही बात कहते है – योग कैसे करे ?

हमसे गलती कहाँ हो रही है इस पर विचार करना चाहिये, यदि हम सकारात्मक  विचार लेकर यह सोचले कि हमे यह अच्छी आदत को अपने अंदर स्थायी रूप से रखना है तो फिर हमे कोई भी आसन प्राणयाम करने से रोक नही सकता है , हम से गलती कहा पर हुई इस पर मनन करेंगे तो हमे पता चलेगा कि हम दुसरो की नकल कर रहे है , नकल से कभी भी योग नही आ सकता योग को जीना पडता है, जीवन जीने के लिये यदि हम किसी दुसरे की नकल करेंगे तो हमारा जीवन नारकीय हो जायेगा, हम दुसरो को देखकर सीख सकते है यह अच्छी बात है जो सीखा हो और उसे उसी प्रकार पहले ही दिन कर ले यह  सम्भव नही है, हम यही पर दुसरी गलती करते है , जब लोगो को सालो साल लग जाते है योगी बनने मे , और हम एक दिन मे ही योगी बनना चाह्ते है यह सम्भव नही है इसलिये अपनेअंदर धैर्य होना चाहिये, अब हम योग कैसे करे ? इस पर चिंतन करते है,और जान लेते है कि -  योग करने से क्या होता है ?  क्या फायदे है ?

मेरे विचार से योग के विषय मे हम इतना ही मान ले कि योग एक जीवन पद्धति है जिस प्रकार हम खाना , पीना, सोना, शौच जाना,पेशाब करना,कमाना , तथा मनोरंजन करना आदि जीवन के लिये आवश्यक मानते है उसी प्रकार योग को भी अपने जीवन के लिये आवश्यक मान ले, योग मे हमे स्वस्थ और सक्रिय बनाये रखने की क्षमता तो है ही साथ ही इसमे हमारे अंदर खुशियाँ , प्रशन्नता भर देने की भी सामर्थ्य है योग हमे हमेशा आनंद विभोर रख सकता है ,

योग को जिस दिन हम हमारे जीवन मे जगह दे देते है, योग को जीवन मे उतार लेते है उसी दिन से हम हमारे अंदर जो कमिया मशसूस करते है उनमे ब्रेक लग जायेगी , वे कमिया आगे नही बढ पायेंगी , वे कमिया, और बुरी आदते धिरे –धिरे कम होंगी , पिछे हटेंगी , और दूर होना आरम्भ हो जायेंगी, एक दिन वे बुरी आदते गलत स्वभाव सब कुछ हमसे दूर जाकर नष्ट हो जायेंगी, यह शरीर कुंदन के समान शुद्ध और गंगा जल के समान पवित्र हो जायेगा, हमारा मन ईर्ष्या ,द्वेष ,और तनाव से रहित हो कर शांतिमय हो जायेगा और सदा आनंदित रहेगा,

योग जब इतना फायदे मंद है तो हम सब क्यो नही कर पाते, इस को सब लोग क्यो नही अपनाते,?  यह एक प्रश्न हमारे मन मे आयेगा, इसका जबाव है कि हम हमारे अंदर की कमियो और बुराईयो से इतने जकडे हुये है कि इस जाल को छोडने की शक्ति समाप्त होती जा रही है, ये जाल हमे बाहर आने ही नही देता जब सोचते है कि हमारे अंदर स्थित बुराईयाँ समाप्त हो जायेंगी तो फिर जीवन मे मजा ही कहाँ रहेगा यदि मै जर्दा नही खाऊंगा, या शराब नही पीऊंगा , इस प्रकार की पार्टी मे भी नही जा पाऊंगा तो फिर तो फिर योग करके हेंड्सम बनने का क्या फायदा है ,

जब मै यम का पालन करूंगा तब  अहिंसक हो जाऊंगा मांस नही खा पाउंगा, जब सत्य भाषण करने लगुंगा तो व्यापार कैसे करूंगा , चोरी के बिना तो कोई भी काम धंधा नही हो सकता , ब्रह्मचर्य तो  मै कभी नही अपना सकता, और अंत मे आपका अपरिगह तो बहुत ही गलत बात है,यदि धन दोलत की बचत ही नही होगी तो घर कैसे चलेगा हारी बिमारी मे कैसे काम चलेगा,

ये इस प्रकार की शंकाओ की वजह से कई लोग योग को अपनाने मे संकोच करते है आप सब इन बातो को एक जगह रखकर मुझे फोलो करे मै भी आप जैसा ही हुँ मै भी पहले ये सब सोचता था कि ये सब यम – नियम तो बाबाजी बनाने के चक्कर है ,लेकिन एक दिन सब कुछ छोड कर लग गया ,कुछ नया करने की फिराक मे और आज बहुत ही नया नया लगता है जीवन बहुत ही आनंद दायक लगता है, 

मै आप लोगो को मेरे अनुभव शेयर कर रहा हुँ ये सब बाते मै ने भी महशूस की है मुझे मालूम है आप भी करते है लेकिन आज से ही शुरूआत करे और एक डायरी मे लिखले कि मेरे मे क्या क्या कमिया है जैसे - मै किसी के सामने खडा होकर बोल नही सकता , साक्षात्कार देते समय कांपता  हुँ , मन मे उमंग समाप्त हो रही है ,लक्ष्य की प्राप्ति नही हो रही है , पेट बाहर आ गया है,चलते समय श्वास फूलती है , इस प्रकार के बहुत सी कमियाँ है उन सभी कमियो को एक जगह लिख कर रख दो और सुबह उठते ही मै जो बता रहा हुँ वह सब करो , फिर एक वर्ष तक करते ही रहो, एक साल बाद  मुल्यांकन करो  तब आप आश्चर्य चकित रह जायेंगे कि यह सब कितना असम्भव लग रहा था और सम्भव  हो गया है, आगे की पोस्ट पढे – योग कैसे करे ? समाधान yoga kaise kare ? samadhan







Friday 3 June 2016

रसवर्धक चुर्ण RASVARDHAK CHURNA

RASVARDHAK CHURNA

आज हम रसवर्धक चुर्ण के बारे मे जानेंगे यह चुर्ण शरीर के लिये बहुत ही अच्छा और फायदे मंद है,इस चुर्ण की हमे क्यो आवश्यकता है यह जानने से पहले हमे यह जानना होगा कि हमारे शरीर मे रस का क्या महत्व है और रस क्या होता है जब हम रस के बारे मे जान लेंगे तब हमे रसवर्धक चुर्ण के बारे मे तथा उसके महत्व का पता चलेगा,

 हमारे शरीर मे सात धातुये होती है 1.रस ,2.रक्त,3.मांस,4.मेद,5.अस्थि,6.मज्जा और 7. शुक्र ये सातो धातुये हमारे शरीर को धारण करती है, यदि इनमे कोई भी धातु की कमी आजाये तो शरीर की स्थिति गडबडाजाती है  इन सात धातुओमे सबसे पहली धातु है रस, यह  रस सभी धातुओ का मूल है जब शरीर मे रस ही नही होगा तो फिर रक्त नही बन पायेगा, ये सभी धातुये उत्तरोत्तर वृद्धि करती है, अतः यह कहा जा सकता है कि सबसे पहले रस  धातु का बढना बहुत ही जरूरी है,रस बढेगा तभी तो शरीर का सबसे महत्वपुर्ण धातु रक्त और शुक्र बढेगा, रस धातु  के अभाव मे शरीर मे बहुत ही कमजोरी आ जाती है और चेहरे की चमक खत्म हो जाती है

हम जो भी भोजन ग्रहण करते है अर्थात जो कुछ भी खाते है वह हमारे शरीर को पुरा लगे और हमारा शरीर पुष्ट हो,  यह सभी की इच्छा होती है,लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हम बहुत ही पौष्टिक आहार लेते है और लगातार लेते रहने के बावजूद भी शरीर की हालत बिगडती ही चली जाती है जो खाया वह सब बिना रस बनाये ही शौचालय मे चला जाता है ,

इस प्रकार के बहुतसे  मरीज जब मेरी प्रेक्टिस मे आने लगे और इस प्रकार की कई प्रकार की दवा बाजार मे  से लेकर पहले ही खाकर आने लगे तो इस नई दवा की जरूरत पडी और मैने मेरे और मेरे परम पुज्य गुरूजी वैध्यजी बाबाजी के अनुभवो को काम मे लेकर एक नई प्रकार की दवा पुराने ग्रंथो से पढकर तैयार की है यह दवा बहुत ही कारगर सिद्ध हुई और हमने करीब पांच हजार मरीजो पर इसका सफल प्रयोग किया और इसके लाभ प्राप्त किये है,

यह चुर्ण मुख्य रूप से आहार तंत्र पर काम करता है और हम जो भी भोजन खाते है उसको पुर्ण रूप से पाचन मे सहयोग करता है तथा जो भी आहार लिया जाता है उसको रस मे बदलने मे पुरा कार्य करता है, यह चुर्ण भुख बढाने और खाये हुये भोजन का उचित रस बने इस प्रक्रिया मे सहयोग करता है,तथा पेट को भी साफ रखता है कब्ज नही होने देता ,इसे आप घर पर बना सकते है लेकिन पुरी कच्ची औषधि मिलना बहुत ही मुश्किल काम हो गया है इसलिये आप यह दवा निरोगीकाया से मंगवा कर काम मे ले सकते है

कौन कौन काम मे ले सकते है --यह दवा वैसे तो सभी लोगो के लिये बहुत ही काम की  औषधि है फिर भी मुख्य रूप से---
1.जिनका शरीर बहुत ही दुबला पतला हो,
2. जो लोग खाते तो बहुत है लेकिन शरीर मे ताकत नही है ,
3.चलते बैठते उठते चक्कर आते है ,
4. जिन्हे खाना देखते ही उबाक आती हो,
5.जो बच्चे रोटी को देखकर भाग जाते हो,
6. जिन्हे पौष्टिक भोजन के बजाय चटपटा भोजन अच्छा लगता हो
7. जिनके गाल और कुल्हे पिचके हो
8.जिनके आंखो के काले घैरे बने हो
9. जिनको लोगो से बात करने मे डर लगता हो, सेल्फ कोंफिडेंस की कमी हो

इस प्रकार के लोगो को यह चुर्ण अवश्य ही लेना चाहिये,