Sunday 12 July 2015

बरसात मे पाचन शक्ति बनाये रखने का उपाय---

यह मौसम  वर्षा ऋतु का है इस मौसम मे चारो तरफ किचड ही किचड रहता है तथा इन दिनो मे कई प्रकार की जल - जनित मौसमी बिमारिया होती रहती है, इस ऋतु मे वायु के विकार या युँ कहे कि बादी से होने वाले रोग भी होते है, इस ऋतु मे अक्सर पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, पेट फुलना,गैस बनना,बदहजमी आदि रोग हो जाते है, इस ऋतु मे वायु की मात्रा अत्यधिक रूप से शरीर मे स्वाभाविक रूप  से बढी हुई रहती है, ऐसे मे यदि हम वायु वर्धक भोजन करेंगे तो हमारे शरीर मे वायु से होने वाले विकार (रोग) ज्यादा मात्रा मे हो जायेंगे और कई  परेशानियाँ उत्पन्न कर देंगे,तथा पाचन शक्ति को खराब कर देंगे,



कैसे बचे वायु विकारो से ?



हमे जब किसी बात की जानकारी  हो जाती है तो हम उस जानकारी के बलबूते काम को सही ढंग से कर सकते है, इसी प्रकार जब हमे यह पता चल जाये कि कौनसे पदार्थ वायु को इस ऋतु मे बढा देते है या ऐसा कौनसा भोजन है जिसके सेवन से वायु बिगड  सकती है तो हम उससे बच सकते है, शरीर मे जितने भी शूल (दर्द) होते है आयुर्वेद के अनुसार वे सभी शुल(दर्द) वायु की विकृति से ही होते है"वातात शुलम......"  लेकिन हम यदि वायु - वर्धक आहार का सेवन ना करे या कम या उचित मात्रा मे ही करे तो उदर  (पेट) सम्बंधित कई रोगो ,पाचन सम्बंधित रोगो से मुक्त हो सकते है या बच  सकते है



वात वर्धक पदार्थ 

चना,  मटर,  मसूर  आदि का साग,   दाल,   चटनी,   बेसन केलड्डु ,    आलु,  कटहल,   मुंगफली,  बासी भोजन, खट्टा भोजन,   नया अन्न  आदि पदार्थ  वायु कारक है



वात वर्धक विहार-


अधिक उपवास करना,   दौडना ,  कूद फांद करना,   तैरना,   चिंता,   शोक,   श्रम,   मैथून,   जुलाब,   रक्तश्राव, रात्री जागरण   आदि कारणो से वात की  वृद्धि  होती है  और पाचन शक्ति कम हो जाती है,

इस प्रकार से सावधानी पुर्वक हम आहार - विहार करे तो हम  कई प्रकार के रोगो से बच  सकते  है अतः हमेशा सजग रह कर स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिये 

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