आयुर्वेद मे नो साईड इफेक्ट … ???
आजकल चारो तरफ आयुर्वेद का बहुत ही
प्रचार प्रसार हो रहा है चारो तरफ
आयुर्वेद चिकित्सा की ही बाते हो रही है, कुछ
बाबाओ ने भी आयुर्वेद को घर घर पहुचाया है, लोग बिना किसी
चिकित्सक की सलाह के भी आयुर्वेद दवाओ का सेवन धडल्ले से कर रहे है ,लोगो की एक धारणा बनी हुई है कि “आयुर्वेद मे नो साईड इफेक्ट”
हम सब जानते है कि हम जो भी आहार शरीर मे
लेते है वह निश्चित समय पर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है , अच्छा असर होगा तो हमारी हेल्थ अच्छी होगी और यदि असर खराब होगा तो हेल्थ
खराब होगी, किसी वस्तु को खाने से हम कई बार बहुत परेशान हो जाते है और उसी वस्तु को खाने से हमे कई बार आनंद की अनुभुति
होती है,एक कहावतहै “ किसी को बैंगन वायरे (वायु कारक) किसी
को बैंगन पछ ( पथ्य)” यह सब हमारी पाचन
क्रिया का कमाल है या फिर भोजन का ही अलग
अलग असर है हम कुछ समझ नही पाते है, इसके लिये आयुर्वेद मे
बहुत ही सही तरिके से समझाया गया है,अलग अलग प्रकृति के लोग
होते है उन्हेअलग तरीके का भोजन लेना चाहिये अपनी प्रकृतिके अनुकूल भोजन हमे सही
रहता है उसी प्रकार यदि हम आहार को गलत मिश्रण से लेंगे तो वह आहार हमारे शरीर पर
गलत असर कारक होगा जैसे लह्शुन और दूध एक साथ सही नही रहता,
खीर और दही विषम भोजन है इस प्रकार के कई उदारण है,
इसी प्रकार आयुर्वेद के ग्रंथो मे सभी
मनुष्यो की प्रकृति के अनुसार दवाओ का वर्णन किया गया है जिस प्रकार प्रकृति के विपरीत भोजन करने से वह
गलत इफेक्ट दिखाता है तो फिर आयुर्वेद की दवा गलत असर क्यो नही दिखा सकती, इसलिये हमे अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना कोई भी दवा नही लेनी चाहिये
यदि बिना किसी परामर्श के दवा लेंगे तो वह दवा चाहे आयुर्वेदिक ही क्यो ना हो गलत
तरीके से ले तो वह साईड इफेक्ट कर सकती है, जैसे एक दवा है
इसबगोल – इस दवा को यदि गरम पानी से ले तो कब्ज को दुर करती है और यदि यही दवा यदि
ठंडे पानी से ले तो दस्त को रोकती है, अब यदि कोई दस्त का
मरीज इस दवा को गरम पानी से ले ले तो उसके दस्त खुनी दस्त मे परिवर्तित होने मे
कितना समय लगेगा,
आयुर्वेद मे बहुत सी औषधि है जो विषो से
बनाई जाती है बुखार की दवा संजीवनी बटी मे ही दो विष है एक भिलावा और दुसरा
वत्सनाभ, अब यदि कोई भी आम आदमी इस दवा को बिना किसी चिकित्सक की सलाह के सेवन
करेगा तो खतरा पैदा हो सकता है, इसी प्रकार विषो से बनी
सैकडो दवाये है जो बाजार मे भी आराम से मिल जाती है बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के
,यध्यपि यह सब दवा पुर्ण शास्त्रोक्त तरीके से विषोको शुद्ध
करके बनाई जाती है लेकिन फिर भी यदि कोई
मरीज अपने आप ही, या किसी बाबा के कहने पर या कोई भी नीमहकीम
के कहने पर दवा ले लेगा तो साईड इफेक्ट होने की सम्भावना हो सकती है क्योकि वह उस
दवा की प्रकृति तथा मरीज की प्रकृति के बारेज्यादा नही जान पायेगा, कहते है ना अधुरा ज्ञान खतरनाक होता है ,कई लोग तो
इतने मूढ होते है कि अखबार मे पढ लिया या
किसी मेग्जीन मे देख लिया और दवा लेना शुरू कर देते है,
क्योकि उनकी सोच है “आयुर्वेद नो साईड इफेक्ट”
उनकी सोच सही हो सकती है आयुर्वेद मे साईड
इफेक्ट नही होता होगा लेकिन आयुर्वेदिक दवाये किस प्रकार से किस द्रव्य से बनती है
यह जानने वाला ही बता सकताहै कि किस रोग मे यह दवा असर कारक है और किस रोग मे
नुकसान दायक आयुर्वेद की दवाओ मे धातुओ का प्रयोग किया जाता है जैसे--पारा, शीशा,हीरा,माणिक्य,सोना,चांदी, ताम्बा, लोहा, आदि, ये सभी शरीर के
लिये घातक है लेकिन आयुर्वेद के मनिषियो ने इन्हे शुद्ध करने के तरीके बताये है इन
धातुओ को शुद्ध करके ही प्रयोग मे लिया जाता है यह सब कौन जानता है ? यह सब बाते आयुर्वेद के ज्ञाता विद्धवान
चिकितसक ही सब जान सकते है और वे ही बता
सकते है कि कौन सी दवा कब,किस समय, किस रोगी को, किस बिमारी मे देना चाहिये, इन दवाओ को यदि बिना किसी चिकित्सक के परामर्ष के कोई लेता है तो वह अपने
लिये खतरा मोल लेता है
कई
आयुर्वेदिक दवा नाम से समान लगती है लेकिन काम बिल्कुल ही अलग होता है जैसे
– खदिरादि बटी गले के लिये काम आती है
जबकि खदिरारिष्ट चर्मरोग मे काम आती है , इस लिये हम सभी को यह बात पता होनी चाहिये कि ऐसी बहुत सारी बाते है जो हमे खतरे मे डाल सकती है
अतः यह धारणा मन से निकाल देनी चाहिये कि आयुर्वेदिक दवा से कोई नुकसान नही होगा या कोई साईड इफेक्ट नही होगा, इति..