Wednesday 15 July 2015

दर्द युक्त मासिकधर्म ( Dysmenorrhea ) का घरेलू इलाज --

परिचय-


आयुर्वेद मतानुसार यह एक योनिगत वायु रोग है,जिसमे रक्त दुषित हो जाता है, जिससे मासिकधर्म आने के समय पेट मे नीचे  के भाग मे बहुत ही तेज दर्द होता है जो कि असहनीय होता है रोगिणी के सांस  फूल जाती है पुरे शरीर पर दर्द के कारण पसीने आ जाते है, रोगिणी तडफने लगती है, इस रोग को आयुर्वेद मे कष्टार्तव तथा आधुनिक विज्ञान मे डिस्मेनोरिया (dysmenorrhea)  कहते है


सलाह-

 इस रोग मे यदि समय पर  उचित चिकित्सा ना मिले तो कई बार प्राण संकट मे आ जाते है,प्राण चाहे बाहर ना निकले लेकिन स्थिति कुछ निकलने जैसी ही हो जाती है, इसके लिये उचित इलाज करवाने की व्यवस्था समय पर करनी चाहिये, फिर भी यदि कुछ प्राथमिक उपाय समय पर मिल जाये तो रोगिणी को कुछ समय के लिये ही सही दर्द मे राहत मिल जाये तो अच्छा ही है

चिकित्सा-

आयुर्वेद मे इस रोग को ठीक करने के लिये बहुत औषधियाँ है जिनसे इस कष्टार्तव नामक रोग का उपचार हो सकता है,लेकिन जब कभी यह दर्द होने लगे तथा समय पर किसी चिकित्सक के पास पहुँचना सम्भव नही हो सके तो कुछ घरेलू उपाय किये जा सकते है ,मै यहाँ पर कुछ सामान्य घरेलू नुस्खे लिख रहा हुँ,इसका खुद (यदि पीडित हो तो)  प्रयोग करे तथा अपने परिचित किसी पिडित को भी बताये--

(1)   भोजन मे गुड,दही, अम्ल पदार्थ,मछली,बैंगन,उडद,आदि का पर्याप्त मात्रा मे सेवन करना चाहिये

(2)   मासिक धर्म के समय गर्म पानी से पेडु पर सेंक करना चाहिये और रोगिणी को  गरम पानी पीने को देना चाहिये,

(3)   सोंठ,बदाम,गुड,और घी इन तीनो को मिला कर गर्म करके देना चाहिये

ये उपाय घर पर करने से दर्द मे राहत मिलती है एक कारगर नुस्खा लिख रहा हुँ जिसे प्रयोग कर के रोग मे तत्काल राहत पाई जा सकती है

नुस्खा-

कपास के पौधे की जड             60ग्राम
गाजर के बीज                         60ग्राम
सोया के बीज                          40ग्राम
खरबुजा के बीज                       40ग्राम

इन सबको कूट पीस कर एक जगह मिला ले, फिर करीब 20ग्राम औषधि को एक गिलास पानी मे डाल कर उबाल ले,जब आधा शेष रहे तब छान कर कष्टार्तव से पीडित रोग़िणी को पिलाये तत्काल दर्द मे राहत मिलेगी, इस दवा को लगातार पांच दिन तक सुबह और शाम ले,

इस रोग के बारे मे विस्तृत जानकारी इसी ब्लोग पर मेरी अगली पोस्ट मे मिलेगी, तो पढते रहे मेरा ब्लोग-nirogikaaya.blogspot.com

Sunday 12 July 2015

बरसात मे पाचन शक्ति बनाये रखने का उपाय---

यह मौसम  वर्षा ऋतु का है इस मौसम मे चारो तरफ किचड ही किचड रहता है तथा इन दिनो मे कई प्रकार की जल - जनित मौसमी बिमारिया होती रहती है, इस ऋतु मे वायु के विकार या युँ कहे कि बादी से होने वाले रोग भी होते है, इस ऋतु मे अक्सर पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, पेट फुलना,गैस बनना,बदहजमी आदि रोग हो जाते है, इस ऋतु मे वायु की मात्रा अत्यधिक रूप से शरीर मे स्वाभाविक रूप  से बढी हुई रहती है, ऐसे मे यदि हम वायु वर्धक भोजन करेंगे तो हमारे शरीर मे वायु से होने वाले विकार (रोग) ज्यादा मात्रा मे हो जायेंगे और कई  परेशानियाँ उत्पन्न कर देंगे,तथा पाचन शक्ति को खराब कर देंगे,



कैसे बचे वायु विकारो से ?



हमे जब किसी बात की जानकारी  हो जाती है तो हम उस जानकारी के बलबूते काम को सही ढंग से कर सकते है, इसी प्रकार जब हमे यह पता चल जाये कि कौनसे पदार्थ वायु को इस ऋतु मे बढा देते है या ऐसा कौनसा भोजन है जिसके सेवन से वायु बिगड  सकती है तो हम उससे बच सकते है, शरीर मे जितने भी शूल (दर्द) होते है आयुर्वेद के अनुसार वे सभी शुल(दर्द) वायु की विकृति से ही होते है"वातात शुलम......"  लेकिन हम यदि वायु - वर्धक आहार का सेवन ना करे या कम या उचित मात्रा मे ही करे तो उदर  (पेट) सम्बंधित कई रोगो ,पाचन सम्बंधित रोगो से मुक्त हो सकते है या बच  सकते है



वात वर्धक पदार्थ 

चना,  मटर,  मसूर  आदि का साग,   दाल,   चटनी,   बेसन केलड्डु ,    आलु,  कटहल,   मुंगफली,  बासी भोजन, खट्टा भोजन,   नया अन्न  आदि पदार्थ  वायु कारक है



वात वर्धक विहार-


अधिक उपवास करना,   दौडना ,  कूद फांद करना,   तैरना,   चिंता,   शोक,   श्रम,   मैथून,   जुलाब,   रक्तश्राव, रात्री जागरण   आदि कारणो से वात की  वृद्धि  होती है  और पाचन शक्ति कम हो जाती है,

इस प्रकार से सावधानी पुर्वक हम आहार - विहार करे तो हम  कई प्रकार के रोगो से बच  सकते  है अतः हमेशा सजग रह कर स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिये 

Sunday 5 July 2015

पेट दर्द का घरेलू इलाज –

 परिचय-

गलत आहार – विहार और गलत समय पर भोजन करना ही पेट के विकार उत्त्पन्न करता है और गरिष्ठ भोजन तो पेट के विकारो की जड होता है,जब अचानक रात मे पेट दर्द हो जाये तो यह उपाय सभी के लिये कारगर हो सकता है इस नुस्खे को बना कर घर मे रखे जब भी इसकी आवश्यकता हो प्रयोग मे लाये, आयुर्वेद हमारी जीवन पद्धति है , इसे जब हम जीवन से जोड देते है तो यह हमारे लिये माँ की तरह रक्षा करती है यह घरेलू उपाय हमेशा हमारी रसोई मे उपलब्ध रहते है


नुस्खा ( चिकित्सा)-

100 ग्राम अजवायन को साफ कर के धो ले और सुखा ले, फिर इस अजवायन को किसी कांच के बर्तन मे रख कर उस बर्तन को नीम्बू के रस से भर दे, इस बर्तन को खुला ही धूप मे तब तक रहने दे ,जब तक नींबू का रस सूख जाये, इस क्रम को दो-तीन बार दोहराये, अंतिम बार नींबू के रस के साथ काला नमक स्वादानुसार पीस कर डाल दे, सूख जाने पर इसे पैक डिब्बे मे भरकर रख दे, जब भी कभी पेटदर्द करे , खट्टी डकारे आये, या जी मिचलाये,तो एक चम्मचचुर्ण गर्म पानी के साथ ले, थोडी देर मे आराम मिल जायेगा,


  






बालो की समस्या का घरेलू इलाज—


परिचय – 

आजकल का खान पान तथा रहन-सहन ऐसा हो गया है कि कम उम्र के बच्चो के बाल असमय ही सफेद होने लगे है तथा बहुत ही तीव्र गति से झडने भी लगे, बालो का गिरना और झडना एक प्रकार की त्वचा की बिमारी है जब चमडी मे स्नेह की मात्रा कम हो जाती है और शरीर मे रूखा पन आ जाता है तो बाल कम उम्र मे ही सफेद होने लगते है और झडने भी लगते है, आज एक नुस्खा यहाँ लिख रहा हुँ जिसका प्रयोग करके सिर के बालो का रूखा पन ठीक करके बालो की समस्या से निजात पा सकते है ,

नुस्खा (चिकित्सा) –

सामग्री-

बड ( बरगद) के कोमल पत्ते - एक किलो
तिल का तेल                        - एक लीटर
मेहंदी                                   -   50 ग्राम
नीम के पत्ते                          -  50 ग्राम
 बडे नीम्बू                             -  दो नग

निर्माण विधि-

लोहे की कडाही मे तैल गरम करे, फिर सभी द्रव्यो को कूट पीस कर और नीम्बू का रस तैल मे डाल कर उबलने दे, आंच धीमी रखे, जब पत्ते काले पड जाये तो उतार ले और 3-4 दिन तक ढक कर रखे ,इसके बाद पतले कपडे से छान कर बोतल मे भर ले ,

प्रयोगविधि –

रात को सोते समय इस तैल को बालो की जडो मे और दोनो पैरो के तलुओ मे लगा कर हल्के – हल्के मालिश करे 2-3 महिनो मे बालो की समस्याये ठीक हो जायेंगी



बवासीर (मस्सा) का घरेलू उपाय

 बवासीर (मस्सा) का घरेलू उपाय –

परिचय-

बवासीर एक भयानक रोग है बहुत ही कष्ट देने वाला रोग है इसका इलाज बडा ही कठिन है , इस रोग से बहुत लोग त्रस्त है , आज कल इस रोग से ग्रसितलोग प्रत्येक घर मे कोई ना कोई तो मिल ही जायेगा, इस रोग के लिये कुछ सावधानिया मै ने इसी ब्लोग पर  पोस्ट(disease) मे लिखी है-"अर्श रोग मे सावधानिया" पढना ,

प्रकार-

 यह रोग दो प्रकार का होता है खूनी और बादी , जिसमे खून गिरता है वह खूनी और जिसमे सिर्फ सुजन और जलन होती है वह बादी बवासीर कहलाता है,

सलाह-

इस रोग के लिये एक बडा ही सरल और बेहद कारगर नुस्खा लिख रहा हुँ यदि आप को या आपके किसी परिचित को यह बिमारी हो तो इस घरेलू उपाय का प्रयोग कर लाभ उठाये और लोगो को भी बताये –

नुस्खा (चिकित्सा) –

 नारियल के ऊपर की जटा ले कर जला ले, जब जटाये जल कर राख हो जाये तब इसकी राख को छान कर कांच के साफ जार मे भर कर रख दे, ताजा दही कटोरी भर कर ले कर इसमे एक चम्मच राख घोल दे, इस राख के अलावा दही मे शक्कर या मिर्च- मसाला कुछ भी ना मिलाये , इस घोल को सुबह  उठते ही बिना कुछ खाये -पिये , पी जायेइसके एक घंटे तक कुछ भी खाये –पीये नही, ऐसा तीन दिन तक करे, खून गिरना बंद हो जायेंगे और बादी बवासीर मे भी आराम मिलेगा,


पायरिया का घरेलू उपाय

पायरिया का घरेलू उपाय—

परिचय-

दांतो की उचित रूप से सफाई ना होने के कारण दांतो से खून और मवाद निकलने लग जाती है और दांतो मे खुजली आती रहती है मुँह से बदबू  आती है किसी से बात करते समय शर्मिंदगी महशूस होती है

लक्षण-

 मसुढे खराब होना, पिलपिले होना, कमजोर होना, उनसे खून निकलना, और मुँह से बदबू आना आदि 

सलाह-

इस रोग को ठीक करने के लिये उचित उपाय लिख रहा हुँ यदि आप लोगो को फायदा मिले तो अपने पडोसी, मित्र , सम्बंधी को भी बताना, यह एक घरेलू उपाय है इस का प्रयोग करने पर भी यदि फर्क ना दिखाई नही दे तो किसी दांतो के चिकित्सक से उचित सलाह और इलाज ले , क्योकि पायरिया रोग पेट सम्बंधित कई प्रकार की बिमारियो का कारण हो  सकता है , प्रस्तुत उपाय भी बडा ही कारगर है आप एक बार प्रयोग अवश्य ही करे –

नुस्खा (चिकित्सा) – 

फिटकरी और सैंधा नमक समान मात्रा मे ले कर अलग-अलग पीस कर खूब महीन बारीक चुर्ण करके मिला ले,  इसे दिन मे तीन बार मसुढो पर लगा कर अंगूली से मले, साथ ही इसी मिश्रण को पानी मे एक चम्मच घोल कर कुल्ले करे , दिन मे तीन बार यह उपाय करने से पायरिया रोग जड से ठीक हो जाता है  
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