आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि की बात कर रहे है , जिसका नाम है रस सिंदूर । यह एक कुपिपक्व रसायन औषधि है । यह औषधि शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक के मिश्रण से कुपिपक्व विधि से तैयार की जाती है ।
यह औषधि बहूत ही उत्तम रसायन है । यह गुण धर्म के हिसाब से उष्ण वीर्य है । पारद और गंधक का यह कल्प शरीर के अंगों की क्रिया को बढ़ाता है । अनुपान भेद से अनेक रोगों को इसका मिश्रण नाश करता है । यह कफ प्रधान रोगों की उत्तम दवा है ।
यह उष्ण होने के कारण पित्त प्रधान रोगों में स्वतन्त्र रूप से प्रयोग में नही लिया जाता है यदि पित्त शामक औषधि जैसे प्रवाल पिष्टी, कामदूधा रस, गिलोय सत्व आदि किसी भी औषधि को मिला कर दे तो पित्त प्रधान रोगों में भी अच्छा फल प्राप्त किया जा सकता है ।
कफ प्रधान सन्निपात , न्यूमोनिया, इन्फ्लूएंजा, श्वास रोग, पुराना कफज कास, आदि रोगों में कफ संचित होकर रोग बढ़ते जाते हो, साथ ही दूषित कफ होने के कारण इनके उपद्रव भी बढ़ते जाते हो, तो ऐसे समय में रस सिंदूर बहुत ही अच्छा काम करता है ।
सुखी खांसी में रस सिंदूर अकेले न देकर प्रवाल भस्म या पिष्टी के साथ सितोपलादि चूर्ण , च्यवनप्राश के साथ देने से लाभ होता है ।
रोगानुसार उपयोग :-
नवज्वर (Instant fever) में रस सिंदूर गोदन्ती हरताल भस्म के साथ मिला कर तुलसी पत्र स्वरस से देने से लाभ मिलता है ।
जीर्ण ज्वर (Chronic fever) में रस सिंदूर , पित्त पापड़ा, धनिया, और गिलोय का क्वाथ (काढ़ा) बना कर शहद मिला कर पिने से लाभ मिलता है ।
अर्श (Piles) रस सिंदूर को छोटी हरड़ के साथ देने से आराम मिलता है।
श्वास ( Asthama) में रस सिंदूर और विभीतक चूर्ण का मिश्रण लाभ करता है ।
कामला में रस सिंदूर , स्वर्ण माक्षिक भस्म, और कसीस भस्म को मिलाकर देने से लाभ मिलता है ।
और भी बहुत से रोग है जिनमे रस सिंदूर किसी अन्य दवा के मिश्रण से बहुत ही अच्छा लाभ करती है ।
निम्न प्रमुख रोग है जिनमे यह काम करती हैं।
पांडु, अजीर्ण, उदरशूल, मूर्च्छा, सर्वांग शौथ, अपस्मार, भगंदर, गुल्म आदि रोगों में भी अन्य औषधि के मिश्रण से यह दवा उत्तम कार्य करती है
इनके अलावा शरीर को बलवान बनाने, धातु वृद्धि के लिए , वाजीकरण के लिए, स्वप्न दोष को दूर करने आदि के लिए भी यह औषधि बहुत ही कामयाब है ।
धातु वृद्धि के लिए :- यह धातु को बढ़ाने के लिए , वीर्य को गाढ़ा करने के लिए , शीघ्र पतन और स्वप्न दोष की बहुत ही उत्तम दवा है । निम्न लिखित मिश्रण बना कर अपना जीवन उत्तम बनाये ।
1. रस सिंदूर 1 रत्ती
बंग भस्म 1 रत्ती
स्वर्ण भस्म 1/4रत्ती
मलाई के साथ
2. या लौंग, केशर , जावित्री, अकरकरा, पीपल, प्रत्येक 1 -1 भाग तथा कपूर, भांग, अफीम, और नाग भस्म, आधा आधा भाग लेकर, सबका यथा विधि चूर्ण बनावे। एक माशा इस चूर्ण के साथ 1 रत्ती की मात्रा में रस सिंदूर लेना चाहिए ।
इसका प्रयोग किसी योग्य चिकित्सक के परामर्श से ही करना चाहिए ।
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