सफेद दाग ( leucoderma ) – मे करे पदमासन --
परिचय – यह रोग आयुर्वेद ग्रंथो मे चर्म
रोगो जिन्हे कुष्ठ(skin desease) कहा जाता
है के भेद के रूप मे जाना जाता है इसे
श्वित्र रोग कहते है , आचार्य चरक ,
सुश्रुत , वाग्भट, काश्यप आदि ऋषियो ने इस रोग को त्रिदोषज( वात- पित-कफज ) व्याधि माना है इन दोषो के कारण जब रक्त त्वचा , जल और मर्म दुषित हो जाते है तब यह श्वित्र रोग
उत्पन्न होता है ,
Leucoderma , also known as vitiligo , is an acquired,
idiopathic dermatological disorder characterzed by well circumscribed ivory or
chalky white macules which are flush to the skin surface.
कारण – यह रोग मुख्यरूप से अनियमित जीवन
शैली के कारण होता है इसके और भी कई कारण है जिनमे से प्रमुख है – विरुद्ध आहार , अजीर्णभोजन , विषमभोजन ,
इस रोग से घबराने तथा डरने की जरुरत नही है
यह रोग आयुर्वेदिकउपचार तथा अपनी जीवन
शैली को
बदल कर यदि नियमित आरोग्य वर्धक जीवन शैली मे बदल लिया जाये तो यह रोग ठीक
हो जाता है , अपने चिकित्सक से नियमित परामर्श लेते
हुये यदि अपनी जीवन चर्या मे आसन प्राणायाम तथा
ध्यान को शामिल कर लिया जाये तो यह
रोग जल्दी ही ठीक हो सकता है नियमित आयुर्वेदिक दवा के साथ साथ यह आसन नियमित करे
और अपने शरीर को विकृत होने से बचाये –
आज हम बात कर रहे है पदमासन की यह आसन बहुत
ही सरल है इस आसन मे बैठकर नियमित रूप से ध्यान लगाना चाहिये , पदम का अर्थ होता है कमल , इस आसन के पुरा होने पर
शरीर का आकार कमल के समान हो जाता है इसीलिए इस आसन का नाम पदमासन रखा गया है
पदमासन एक महत्वपुर्ण आसन तो है ही इसके
साथ ही यह सभी आसनो मे श्रेष्ठआसन भी माना जाता है
विधि – समतल और साफ सुथरी जगह पर कम्बल
बिछा लिजिये और बैठ जाइये दोनो टांगो को
आगे की ओर फैला लिजिये, फिर धिरे धिरे दाहिनी टांग को घुटने
तक मोड कर बायी जांघ पर रख लिजिये, फिर बायी टांग को मोड कर दाहिनी
जांघ पर रख लिजिये और फिर दाहिनी हथेली को नीचे तथा बायी हथेली को ऊपर रख कर कमर सीधी कर के आंखे बंद कर
शांत मन से भगवान का स्मरण करे ,चित्र अनुसार स्थिती बनाये,
चित्र --