Monday 3 August 2020

शरीर शुध्दि का उत्सव श्रावणी कर्म :- रक्षाबंधन ।


सावन महीने की पूर्णिमा को श्रावणी पूर्णिमा कहते है । इस दिन सभी बहिने अपने भाइयों की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा की कामना करती है । साथ ही भाई भी अपनी बहिनो को रक्षा का वचन देकर कुछ उपहार भी देतें है । यह त्योहार बहुत ही *पवित्र भावनाओ* का त्योहार है । 
इसी दिन विद्वतगण अपने मन और शरीर की शुद्धि के लिए किसी जलाशय के पास जाकर श्रावणी कर्म करते है । पूर्णता का यह पर्व मन और तन को शुध्द करने के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है । मन की भावना इस त्योहार पर वैसे ही पवित्रता से परिपूर्ण रहती है । और यदि किसी पवित्र स्थान पर या किसी तीर्थ स्थल पर जाकर अपने पापों का प्रायश्चित करके हम अपने तन को भी पवित्र कर ले तो इस त्योहार की सार्थकता सिध्द हो जाती है । 
मन और तन को सुद्ध करने के बाद नए वस्त्र और नई यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए । 
इस  त्योहार को यदि आयुर्वेदिक दृष्टि से देखे तो यह वर्ष भर में एक बार अपने आपकी साफ सफाई करने के लिए बहुत ही सही समय माना गया है। शरीर शुध्दि का उत्तम अवसर है ।
भारत मे मनाये जाने वाले सभी त्योहारो में जीवन की एक ऐसी शिक्षा जुड़ी हुई है जो परम्पराओं के साथ जीवन दर्शन भी सिखाती है । स्वस्थ जीवन का संदेश भी यहां के त्योहार देते है । आयुर्वेद जो भारत की चिकित्सा पद्धति है जिसमे सभी त्योहारों के साथ शरीरिक स्वस्थता का संदेश छिपा हुआ है । 
इस त्योहार में अपने मन को पवित्र बनाये और अपने तन को शुद्ध करने के लिए श्रावणी कर्म करे । हम यदि स्वस्थ मानसिकता के साथ जीवन जियेंगे तो पूरा समाज ही एक तरह से स्वस्थ हो जायेगा । हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा ।