Saturday 21 February 2015

ब्रम्ह्चर्य

ब्रम्ह्चर्य की रक्षा से लाभ -
1. बल,तेज,उत्साह,एवम ओज की वृद्धि होती है
2.शीत,उष्ण,पीडा आदि सहन करने की शक्ति आती है
3.अधिक परिश्रम करने पर भी थकावट कम आती है
4. शरीर मे फुर्ती एवम चेतनता रहती है
5.आलस्य,तंद्रा कम आती है
6.रोगप्रतिरोधक शक्ति आती है
7.मन प्रसन्न रहताहै,कार्य करने की क्षमता प्रचूर मात्रा मे रहती है
8.दूसरे के मन पर प्रभाव डालने की शक्ति आती है
9. शरीर के अंग प्रत्यंग मजबूत रहते है
10. आयु बढती है वृद्धावस्था जल्दी नही आती
11.शरीर स्वस्थ और हल्का रहता है
12.स्मरण शक्ति बढती है, बुद्धि तीव्र होती है
13.मन बलवान होताहै,कायरता नही आती
14.काम करने की शक्ति आती है,बडीसेबडी विपत्ति आने पर भी धैर्य नही छुटता
15.अंतःकरण शुद्ध रहता है आत्मसम्मान का भाव बढता है भगवत प्राप्ति की योग्यता आती है
ब्रम्हचर्य की रक्षा नही करने से हानि-
1.बिमारिया घेर लेती है,शरीर खोखला हो जाता है
2.थोडा सा परिश्रम अथवा कष्ट सहन नही होता है
3.शीत उष्ण आदिका प्रभाव शरीर पर बहुत जल्दी होता है
4.स्मरण शक्ति नष्ट हो जाती है
5.संतान उत्पन्न करने की शक्ति नष्ट होजाती है
6.मन अत्यंत दुर्बल हो जाता है
7. संकल्प शक्ति कमजोर हो जाती है
8.स्वभाव चिडचिडा हो जाता है जरा भी प्रतिकुलता सहन नही होती है
9.आत्म विश्वास कम  हो जाता है
10.काम करनेमे उत्साह नही रहता,शरीर मे आलस्य छाया रहता है
11.चित्त सदा सशंकित रहता है,मन मे विषाद छाया रहता है
12.बुद्धि मंद हो जाती है, अधिक सोचने की शक्ति नही रहती
13.असमय मे बुढापा आ जाता है
14.चित स्थिर नही रह पाता,मन और इंद्रिया वश मे नही रह पाती
15.भगवत प्राप्ति के मार्ग से कोसो दूर हट जाता है और जल्दी काल के गाल मे चला जाता है