Sunday 24 March 2019

सिंदूर(Sindoor ) :- आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक्स (Ayurvedic Antibiotics) ।

आयुर्वेद ग्रन्थों में "सिंदूर" नाम से करीब छः प्रकार की औषधियों का वर्णन किया गया है ।

 जिनमे रस सिंदूर, ताल सिंदूर, मल्ल सिंदूर, ताम्र सिंदूर, रजत सिंदूर और अंत में है शिला सिंदूर । जिसका हम आज अध्ययन कर रहे है।

ये सभी सिंदूर कीटाणु नाशक( Antibiotics) है,

 दूषित खान पान से या गलत आहार विहार से हमारे शरीर में कीटाणुओं का ना चाहते हुए भी प्रवेश हो जाता है । और हम बीमारियो की गिरफ्त में आ जाते है। 

आज कल आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में बहुत से एंटीबायोटिक्स है जिनसे झटपट इलाज संभव है । लेकिन इलाज के साथ ही बहुत से साईड इफेक्ट भी साथ में आ जाते है और जीवन भर उनसे झुझते रहते है


ये सिंदूर जब आयुर्वेद ग्रन्थों में लिखे गए या इनका जब प्रयोग प्रचुर मात्रा में समाज में हो रहा था तब यह सब भी एंटीबायोटिक की तरह ही काम में लिए जाते थे ।

 ये सभी गर्म प्रकृति के होते है । इनकी तासीर उष्ण होती है । 

इनको भी बहुत ही सावधानी से प्रयोग किया जाना चाहिए । 

इनका एक बहुत ही अच्छा फायदा है ये एलोपैथी के एंटीबायोटिक्स जितने खतरनाक नही होते है ।

आसन करे :- रोगानुसार

 आइए जाने योग के आसनों की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।

किस रोग में कौन सा आसन करे

 पेट की बिमारियों में-

उत्तानपादासन,

 पवनमुक्तासन,

 वज्रासन,

 योगमुद्रासन,

 भुजंगासन,

 मत्स्यासन।


 सिर की बिमारियों में-

सर्वांगासन,


 शीर्षासन,

 चन्द्रासन।


 मधुमेह-



पश्चिमोत्तानासन,

 नौकासन,

 वज्रासन, 

भुजंगासन, 

हलासन,

 शीर्षासन।


 वीर्यदोष–
सर्वांगासन, वज्रासन, योगमुद्रा।
 गला-
सुप्तवज्रासन, भुजंगासन, चन्द्रासन।
 आंखें-
सर्वांगासन, शीर्षासन, भुजंगासन।
 गठिया–
पवनमुक्तासन, पद्ïमासन, सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, उष्ट्रासन।
 नाभि-
धनुरासन, नाभि-आसन, भुजंगासन।
 गर्भाशय–
उत्तानपादासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, ताड़ासन, चन्द्रानमस्कारासन।
 कमर दर्द –
हलासन, चक्रासन, धनुरासन, भुजंगासन।
 फेफड़े-
वज्रासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन।
 यकृत-
लतासन, पवनमुक्तासन, यानासन।
 गुदा,बवासीर,भंगदर आदि में-
उत्तानपादासन, सर्वांगासन, जानुशिरासन, यानासन।
 दमा-
सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, भुजंगासन।
 अनिद्रा-
शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रासन।
 गैस–
पवनमुक्तासन, जानुशिरासन, योगमुद्रा, वज्रासन।
 जुकाम–
सर्वांगासन, हलासन, शीर्षासन।
 मानसिक शांति के लिए–
सिद्धासन, योगासन, शतुरमुर्गासन, खगासन योगमुद्रासन।
 रीढ़ की हड्डी के लिए-
सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, शतुरमुर्गासन करें।
 गठिया के लिए-
पवनमुक्तासन, साइकिल संचालन, ताड़ासन किया करें।
 गुर्दे की बीमारी में–
सर्वांगासन, हलासन, वज्रासन, पवनमुक्तासन करें।
 गले के लिए-
सर्पासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रा करें।
 हृदय रोग के लिए-
शवासन, साइकिल संचालन, सिद्धासन किया करें।
 दमा के लिए-
सुप्तवज्रासन, सर्पासन, सर्वांगासन, पवनतुक्तासन, उष्ट्रासन करें।
 रक्तचाप के लिए–
योगमुद्रासन, सिद्धासन, शवासन, शक्तिसंचालन क्रिया करें।
 सिर दर्द के लिए-
सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, शतुरमुर्गासन करें।
 पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए-
यानासन, नाभि आसन, सर्वांगासन, वज्रासन करें।
 मधुमेह के लिए-
मत्स्यासन, सुप्तवज्रासन, योगमुद्रासन, हलासन, सर्वांगासन, उत्तानपादासन करें।
 मोटापा घटाने के लिए–
पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, नाभि आसन करें।
 आंखों के लिए-
सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, चक्रासन करें।
 बालों के लिए–
सर्वांगासन, सर्पासन, शतुरमुर्गासन, वज्रासन करें।
 प्लीहा के लिए-
सर्वांगासन, हलासन, नाभि आसन, यानासन करें।
 कमर के लिए–
सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, वज्रासन, योगमुद्रासन करें।
 कद बड़ा करने के लिए-
ताड़ासन, शक्ति संचालन, धनुरासन, चक्रासन, नाभि आसन करें।
 कानों के लिए–
सर्वांगासन, सर्पासन, धनुरासन, चक्रासन करें।
 नींद के लिए–
सर्वांगासन, सर्पासन, सुप्तवज्रासन, योगमुद्रासन, नाभि आसन करें।
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