Sunday 27 December 2015

स्त्रियो मे बांझपन(infertility) के लक्षण –

स्त्रियो मे बांझपन(infertility) के लक्षण –

1. मासिक धर्म ठीक प्रकार से नही होता है

2. गर्भ मार्ग मे बार बार सुईया सी चुभती है,साथ ही मीठा मीठा दर्द सा होता रहता है

3. विषय भोग करते हुये भी गर्भधारण नही होता है

4. बांझ स्त्री की कुचाये (स्तन) प्रायः बहुत ही कम उठी हुई होती है अथवा  बिलकुल  ही उठी हुई  नही होती है

5. गर्भ ग्रहण का मार्ग प्रायःशुष्क  होता है

6. दुर्बल स्त्री मे आर्तव प्रवाह  का पुर्ण तया अभाव रहता है


7. स्त्री के गर्भ मार्गमे जलन,खुजलाहट ,फुंसियाँ ,सुजन एवम सुई के समान चुभने जैसी पीडा की अनुभूति होती है 

श्वेतप्रदर (leacorrhoea) का उपचार--

             परिचय-- आयुर्वेद मे श्वेतप्रदर रोग को श्लेष्मज योनि व्यापद मे किया गया है,ऋतुकाल मे मिथ्या आहार-विहार से,अत्यंत मैथून से,उत्तेजक आहार सेवन से श्वेतप्रदर की उत्त्पति होती है,यह एक स्वतंत्र रोग है फिर भी यह रोग निम्न लिखित रोगो मे लक्षण के रूप मे दिखाई देता है,


                यह रोग कई रोगो के परिणाम स्वरूप होता है,विशेष रूपसे गर्भाशय,डिम्बग्रंथियो, गर्भाशयमुख, गर्भाशय का अपने स्थान से हटना, योनिमार्ग की सूजन, भीतरी जननेंद्रियो मे  फोडा -फुंसी, रसोली,आदि का होना, मुत्राशय की सुजन, सुजाक, आतसक, रक्ताल्पता, जिगर के रोग, गुर्दे के विकार,मधुमेह,मलावरोध,आदि रोगो के लक्षणो के  रूप मे यह रोग दिखाई देता है,यदि इन रोगो के कारण यह रोग हो तो किसी चिकित्सक के परामर्श से चिकित्सा करवाये,


                लक्षण- इस रोग मे रोगिणी की योनि से रात-दिन सफेदपानी या पीला पानी आता रहता है, जो लसदार होता है,योनि सदैव गिली रहती है,


                उपचार -- इस रोग की चिकित्सा रोगो के अनुसार आयुर्वेद ग्रंथो मे अलग अलग बताई है, यदि ऊपर बताये गये रोग ना होने पर भी यदि सफेद पानी की दिक्कत हो तो जो  चिकित्सा यहाँ पर  बताई जा रही है वह चिकित्सा करे , यदि रोग नया हो तथा प्रारम्भिक अवस्था मे हो तो इस उपचार को प्रयोग करे निश्चित रूप से आराम हो जायेगा


नुस्खा -- 

आम के फूल,सुपारी के फूल, पिस्ता के  फूल, ढाक का गौंद, छोटा गौखरू, प्रत्येक 12-12 ग्राम, इमली के बीज की गिरी 18 ग्राम , बकायन 9ग्राम, सफेद चंदन का चुर्ण 6ग्राम, मीठा इंद्र जौ 6ग्राम, सफेद मूसली 12ग्राम, अनार के फूल 12 ग्राम, सब औषधिया पृथक-पृथक पीसकर बंग भस्म 6ग्राम तथा खांड सब औषधियो के बराबर मिला कर रख ले,

मात्रा -- 6ग्राम औषधि पाव दूध के साथ प्रतिदिन खाना चाहिये 

Thursday 17 December 2015

सर्दियो मे मिटाये दुबलापन ..



                   जब मै जवानी की दहलीज पर था तब मेरा वजन बहुत ही कम था लेकिन जैसे ही सर्दीया आई  मेरे अंदर एक जुनून सा छा गया था कि मुझे अपना वजन बढाना है और अपना दुबलापन दूर करना है और मै ने एक प्लान तैयार किया और उस प्लान को पुरी तरह से हकिकत बनाने के लिये पुरजोर कोशीश की और मै सफल भी हुआ  क्योकि यह ऋतु पुष्टिकारक है इस ऋतु मे भी यदि वजन बढा कर अपना दुबलापन नही मिटाया तो फिर अन्य ऋतुओ मे वजन बढाना और अपने आप को स्वस्थ रखना बडा ही कठीन कार्य है मै ने जो प्रयास किये उसका फल मुझे मिला और आज मेरा वजन पुरी तरह स्वस्थ होने की गवाही देता है , मेरी पुरी योजना और किस तरह मै ने उसको क्रियांवित किया उसकी पुरी हकिकत बता रहा हुँ,


                  (1) मन को करे तैयार – जब भी हम कोई काम करते है तो सबसे पहले हमारा मन उसे करने से रोकता है मन मे आलस्य के भाव आते है और वह रोकने लगता है बार बार उस काम के प्रति नकारात्मकता को लाने का काम मन ही करता है सबसे पहले मन मे उत्पन्न इस नकारात्मकता को समाप्त कर देना जरूरी है पहले दिन हीमन मे  पुरा  दृढ विस्वास बनाये कि मुझे यह काम अवस्य ही करना है मैं ने भी मेरे मन को पुरी तरह से तैयार किया और वजन बढाने के काम को दृढता से करने के लिये मन को तैयार किया ,


                    (2) व्यायाम करे शुरू – शरीर को मजबूत बनाने के लिये व्यायाम का बडा ही महत्व है व्यायाममे दौड लगाना, सुबह घुमने जाना, जिम मे जाना,घर पर ही योग- प्राणायाम करना, घर पर ही दंड बैठक आदि कसरत करना,इनमे से कोई भी एक दो सही सहज हो उनको चुन कर नियमित रूप से करे, व्यायाम मे सबसे सरल है घर पर ही रहा कर एक साफ स्वच्छ जगह पर थोडा उछल – कूद करके वार्म-अप करना, थोडी देर पुस-अप करना,उठक बैठक-करना , मैंढक चाल चलना,दस बीस प्रकारके सरल से योग करना जैसे- ताडासन, वृक्षासन, हस्तपादासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन , सुर्यनमस्कार, वज्रासन,सुप्त्वज्रासन, आदि आसन करने अंत मे शवासन और अनुलोम विलोम प्राणायाम  करके  दस  पद्रह मिनिट  तक ध्यान लगा कर शरीर को सामान्य करले, मै ने इसी प्रकार शरीर को स्वस्थ बनाने के लिये व्यायाम शुरूकिया,


                    (3) भूख का रखे ध्यान – जब भी हम शरीर मजबूत बनाने की बात करते है तो आहार का बडा महत्व होता है,लेकिन आहार से पहले भी एक महत्वपुर्ण बात है वह है भूख लगना, यदि हमे सही समय पर भूख नही लगती या भूख लगती ही नही हो तो इसका पुरा निराकरण करना बहुत ही जरूरी होता है इसके लिये आयुर्वेद मे अग्नि वर्धक औषधिया होती  है उनका सेवन किया जा सकता है किसी योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श से यह दवा लेकर भूख बढाई जा सकती है, मै ने बहुत ही खोज करके एक आयुर्वेदिकऔषधि को भूख बढाने के लिये मेरे लिये तैयार किया था अब यह औषधी बहुत मरीजो को लाभ पहुचा चुकी है आप लोगो को या आपके किसी परिचित को  भी यदि भूख ना लगने की शिकायत है तो मुझे ईमैल कर सकते है –   घर बैठे यह दवा आप उचित मुल्य मे मंगवा सकते है यह बहुत ही कारगर दवा है इसका किसी भी प्रकार का कोई साईड इफेक्ट नही है यह पुर्ण रूप से आयुर्वेदिक औषधि है भूख बढाने मे तथा पेट साफ रखने की उत्तम औषधि है


                     (4) पौष्टिक आहार ले – आयुर्वेद मे लंघन और वृहंण आहार का वर्णन है जिस आहार से शरीर को दुबला पतला बनाना हो वह आहार लंघन आहार कहलाता  है और जिस आहार से शरीर को मोटा और मजबूत बनाया जाता है उसे वृहंण आहार कहते है, शरीर को पुष्ट करने के लिये जो आहार उचित है वह है – दूध, घी मलाई, फल, दाल, आदि हम इसको इस प्रकार भी कह सकते है कि प्रोटीन,  वसा, कार्बोहाईड्रेट, विटामिंस, मिनरल्स ये सब संतुलित रूप से ले तो यह हमारा शरीर पुष्ट और स्वस्थ हो सकता है


                      (5) पाचनक्रिया रखे मजबूत—हम जो आहार लेते है उसका उचितपाचनहो रहा है या नही हो रहा यह जानकारी हो  ना बहुत जरूरीहै  हम कई बार लोगो से सुनते है कि मै खाता तो बहुत हुँ लेकिन मेरे शरीर को लगता ही नही है जो खाता हुँ पता नही कहाँ जाता है, यह सब पाचन का ही खेल है,जो खा रहे है यदि वह बिना पचे ही गट्टर मे जा रहा है तो खाने का क्या फायदा,इसकेलिये यह ध्यान रखना जरूरी है कि पेट किस प्रकार से साफ हो रहा है यदि खाना खाते ही लेट्रीन जाना पडता है  तो पाचन क्रिया सही नही है यदि खाना खाने के बाद भी सुबह यदि पेट साफ नही हो रहा है तो भी पाचन क्रिया सही नही है,इस पाचन क्रिया को सही रखने के लिये भी आयुर्वेद मे बहुत औषधिया है जो आप लोगो को घर बैठे मिल सकती है आप सिर्फ ईमैल करे और अपनी परेशानी बताये, उचित परामर्श और उचित मुल्य मे दवा मिल जायेगी ,यदि आप मुझसे दवा नही मंगवाना चाहते है तो अपने किसी योग्य आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा लेकर अपनी समस्या से निजात पा सकते है


सभी प्रकार से सारे प्रयास करके इस सर्दी की ऋतु मे अपना वजन अवस्य बढाये और दुबलापन मिटाये, इति  

Sunday 6 December 2015

डायबीटीज (मधुमेह) रोग का घरेलू उपचार

                        आजकल मधुमेह रोग बहुत ही तीव्र रूप से फैलता जा रहा है आयुर्वेद मे इस रोग के लिये बहुत ही कारगर औषधियाँ बताई गई है,वैसे यह रोग जब किसीको हो जाता है तो वह रोगी बहुत ही कठिनता से ठीक हो पाता है,
                        आयुर्वेद के ग्रंथो मे इस रोग को प्रमेह की भेद मे गिना गया है प्रमेह रोग के बीस प्रकार  बताये गये है और उनकी अलग अलग चिकित्सा  लिखी गई है, प्रमेह रोग के अंदर ही इक्षुमेह नामक एक रोग का वर्णन किया गया है इस इक्षुमेह की एक घरेलू चिकित्सा आचार्यो ने लिखी है जिसका मै आमलोगो के लाभार्थ लिख रहा हुँ
                         मधुमेह रोग को ठीक करने के पुर्ण रूप सेसमर्पित होकर जो व्यक्ति इस नुस्खे को प्रयोग करेगा वह निश्चित ही लाभ प्राप्त करेगा,
                         मधुमेह को ठीक करने वाले इस घरेलू नुस्खे के साथ साथ यदि मरीज रोजाना प्रातः भ्रमण तथा कपाल भाति प्राणायाम और योग व्यायाम भी करे तो बहुत ही जल्दी आराम मिल सकता है और रोग पर विजय प्राप्त की जा सकती है


 नुस्खा इस प्रकार है----


गुड्मार की पत्ती ------------ 50ग्राम
जामून की गुठली----------- 50ग्राम
इंद्रजव----------------------  50ग्राम
मामेजव-------------------- 50ग्राम
अर्जुन की छाल------------- 50ग्राम
हल्दी------------------------ 50ग्राम
त्रिफला---------------------- 50ग्राम


                      इन सभी औषधियो को एक जगह मिला कर अच्छी तरह से पीस कर मिला ले और किसी साफ बर्तन मे रख ले और 2-2 ग्राम मात्रा मे दिन मे तीन बार पानी से ले,

                      यह एक घरेलू उपचार है यदि सुगर लेवल ज्यादा हो तो अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य ले, नियमित रूप से व्यायाम करे ,

Wednesday 28 October 2015

आयुर्वेद मे नो साईड इफेक्ट … ???

आयुर्वेद मे नो साईड इफेक्ट ???


             आजकल चारो तरफ आयुर्वेद का बहुत ही प्रचार  प्रसार हो रहा है चारो तरफ आयुर्वेद चिकित्सा की ही बाते हो रही है कुछ बाबाओ ने भी आयुर्वेद को घर घर पहुचाया है, लोग बिना किसी चिकित्सक की सलाह के भी आयुर्वेद दवाओ का सेवन धडल्ले से कर रहे है ,लोगो की एक धारणा बनी हुई है कि “आयुर्वेद मे नो साईड इफेक्ट”

              हम सब जानते है कि हम जो भी आहार शरीर मे लेते है वह निश्चित समय पर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है , अच्छा असर होगा तो हमारी हेल्थ अच्छी होगी और यदि असर खराब होगा तो हेल्थ खराब होगी, किसी वस्तु को खाने से हम कई बार बहुत  परेशान हो जाते है और उसी  वस्तु को खाने से हमे कई बार आनंद की अनुभुति होती है,एक कहावतहै “ किसी को बैंगन वायरे (वायु कारक) किसी को बैंगन पछ ( पथ्य)”  यह सब हमारी पाचन क्रिया का  कमाल है या फिर भोजन का ही अलग अलग असर है हम कुछ समझ नही पाते है, इसके लिये आयुर्वेद मे बहुत ही सही तरिके से समझाया गया है,अलग अलग प्रकृति के लोग होते है उन्हेअलग तरीके का भोजन लेना चाहिये अपनी प्रकृतिके अनुकूल भोजन हमे सही रहता है उसी प्रकार यदि हम आहार को गलत मिश्रण से लेंगे तो वह आहार हमारे शरीर पर गलत असर कारक होगा जैसे लह्शुन और दूध एक साथ सही नही रहता, खीर और दही विषम भोजन है इस प्रकार के कई उदारण है,

                इसी प्रकार आयुर्वेद के ग्रंथो मे सभी मनुष्यो की प्रकृति के अनुसार दवाओ का वर्णन किया गया है  जिस प्रकार प्रकृति के विपरीत भोजन करने से वह गलत इफेक्ट दिखाता है तो फिर आयुर्वेद की दवा  गलत असर क्यो नही दिखा सकती, इसलिये हमे अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना कोई भी दवा नही लेनी चाहिये यदि बिना किसी परामर्श के दवा लेंगे तो वह दवा चाहे आयुर्वेदिक ही क्यो ना हो गलत तरीके से ले तो वह साईड इफेक्ट कर सकती है, जैसे एक दवा है इसबगोल – इस दवा को यदि गरम पानी से ले तो कब्ज को दुर करती है और यदि यही दवा यदि ठंडे पानी से ले तो दस्त को रोकती है, अब यदि कोई दस्त का मरीज इस दवा को गरम पानी से ले ले तो उसके दस्त खुनी दस्त मे परिवर्तित होने मे कितना समय लगेगा,

                आयुर्वेद मे बहुत सी औषधि है जो विषो से बनाई जाती है बुखार की दवा संजीवनी बटी मे ही दो विष है एक भिलावा और दुसरा वत्सनाभ, अब यदि कोई भी आम आदमी इस दवा को बिना किसी चिकित्सक की सलाह के सेवन करेगा तो खतरा पैदा हो सकता है, इसी प्रकार विषो से बनी सैकडो दवाये है जो बाजार मे भी आराम से मिल जाती है बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के ,यध्यपि यह सब दवा पुर्ण शास्त्रोक्त तरीके से विषोको शुद्ध करके बनाई जाती है लेकिन फिर भी यदि कोई  मरीज अपने आप ही, या किसी बाबा के कहने पर या कोई भी नीमहकीम के कहने पर दवा ले लेगा तो साईड इफेक्ट होने की सम्भावना हो सकती है क्योकि वह उस दवा की प्रकृति तथा मरीज की प्रकृति के बारेज्यादा नही जान पायेगा, कहते है ना अधुरा ज्ञान खतरनाक होता है ,कई लोग तो इतने मूढ  होते है कि अखबार मे पढ लिया या किसी मेग्जीन मे देख लिया और दवा लेना शुरू कर देते है, क्योकि उनकी सोच है “आयुर्वेद नो साईड इफेक्ट” 

                 उनकी सोच सही हो सकती है आयुर्वेद मे साईड इफेक्ट नही होता होगा लेकिन आयुर्वेदिक दवाये किस प्रकार से किस द्रव्य से बनती है यह जानने वाला ही बता सकताहै कि किस रोग मे यह दवा असर कारक है और किस रोग मे नुकसान दायक आयुर्वेद की दवाओ मे  धातुओ  का प्रयोग किया जाता है जैसे--पारा, शीशा,हीरा,माणिक्य,सोना,चांदी, ताम्बा, लोहा, आदि, ये सभी शरीर के लिये घातक है लेकिन आयुर्वेद के मनिषियो ने इन्हे शुद्ध करने के तरीके बताये है इन धातुओ को शुद्ध करके ही प्रयोग मे लिया जाता है यह सब कौन जानता है ?  यह सब बाते आयुर्वेद के ज्ञाता विद्धवान चिकितसक ही  सब जान सकते है और वे ही बता सकते है कि कौन सी दवा  कब,किस समय, किस रोगी को,  किस बिमारी मे देना चाहिये, इन दवाओ को यदि बिना किसी चिकित्सक के परामर्ष के कोई लेता है तो वह अपने लिये खतरा मोल लेता है


                    कई  आयुर्वेदिक दवा नाम से समान लगती है लेकिन काम बिल्कुल ही अलग होता है जैसे – खदिरादि बटी  गले के लिये काम आती है जबकि खदिरारिष्ट चर्मरोग मे काम  आती है , इस लिये हम सभी को यह बात पता होनी चाहिये कि ऐसी  बहुत सारी बाते है जो हमे खतरे मे डाल सकती है अतः यह धारणा मन से निकाल देनी चाहिये कि आयुर्वेदिक दवा से कोई नुकसान  नही होगा या कोई साईड इफेक्ट नही होगा, इति..

Friday 25 September 2015

शरीर को संतुलित करता है “ उत्कटासन”

शरीर को संतुलित करता है “ उत्कटासन”

परिचय-

आज जिस आसन की बात करने जा रहा हुँ वह है “उत्कुटासन”  इस आसन को करने से शरीर का संतुलन सही हो जाता है शरीर जब असंतुलित हो जाता है तब बैठे बैठे ही लुढक जाते है तो यह आसन करने से शरीर का संतुलन बन जाता है

विधि—

चित्र अनुसार मुद्रा मे पैर के पंजो के बल बैठकर , सीना सामने निकला हुआ , हाथ पंजे के समीप भुमि छुते हुये, हाथ सीधे या नमस्कार की मुद्रा मे रखे , श्वास की गति सामान्य रखे


चित्र देखे –




लाभ –

 इस आसन को करने से पिंडली मजबूत बनती है , शरीर संतुलित होता है 

Saturday 19 September 2015

“साईटिका” रोग को ठीक करता है - शशकासन

“साईटिका”  रोग को ठीक करता है -  शशकासन


आज हम एक आसन की बात करेंगे जिसे  शशकासन कहते है , यह आसन खरगोस के बैठने के समान दिखाई देता है और संस्कृत मे खरगोस को शशक कहते है अतः शशक समान स्थिती मे बैठने को शशकासन कहते है यह आसन पेट सम्बंधितकई रोगो मे कारगर है लेकिन सायटिका रोग मे इस आसन को करने से सायटिका रोग मे आराम मिलता है


 हमारे दोनो पैरो मे एक नस होती है जिसे साईटिका कहते है और आयुर्वेद मे इसी नस को गृधर्सी  कहते है इस नस मे कई बार बहुत ही तेज दर्द होने लगता है यह पुरी नस कुल्हे से लेकर एडी तक बहुत दर्द करती है  इस रोग को साईटिका रोग कहते है इस रोग को ठीक करने मे शशकासन  बहुत ही कारगर है


विधि – 

वज्रासन( दोनो पैरौ को मोड कर कुल्हे के नीचे दबा कर बैठे)  मे बैठकर , श्वास को छोडते हुये कमर से उपर के भाग आगे ( कमर , रीढ , हाथ एक साथ) झुका कर मस्तक धरती से लगाये, दोनो हाथ जितना आगे ले जा सके, ले जाकर धरती से सटा दे ,


 चित्र देखे –




लाभ – 

इस आसन को करने से उदर के रोग ठीक होते है ,यह कुल्हो और गुदा स्थान के मध्य स्थित मांसपेशियो को सामान्य रखताहै , साईटिका के स्नायुओ को शिथिल करता है और एड्रिनल ग्रंथी के कार्य को नियमित करता है, कब्ज को ठीक करता है ,

Friday 11 September 2015

यकृत वृदिध (Enlargement of liver) - कारण और उपचार

परिचय-

पित्त कारक पदार्थो के अत्यधिक सेवन करने से एवम एक्युट हिपेटाईसिस के बाद यकृत की वृदिध हो जाती है,इसे जिगर का बढना भी कहते है.

कारण - 

1.अत्यधिक मशालेदार पदार्थो का सेवन

2.शराब का अधिक मात्रा मे सेवन

3.शरीर मे गर्मी का अधिक मात्रा मे होना

4.अधिक मात्रा मे आराम तलबी का जीवन बिताने पर शरीर मे पित्त की मात्रा बढ जाती है

5. विषैली औषधियो जैसे- संखिया,नाग,स्वर्ण,फास्फोरस,आदि का  अधिक तथा दीर्घकाल तक सेवन करते रहने से.

6.सभी प्रकार के संक्रमण बुखार मे लिवर बढ जाता है

7.लिवर मे एब्सेस होने से

8. पित्त की थैली मे पथरी होने से

9. मधुमेह,संधिवात,उपदंश आदि जीर्ण रोगो मे

10. पित्तप्रणाली का अवरोध होने के कारण यकृत की वृदिध हो जाती है

लक्षण-

1.पेट मे दाहिनी तरफ भारीपन लगना

2.रूक रूक कर तीर जैसा चुभने वाला दर्द

3.रोगी की भूख मारी जाती है

4.अजीर्ण तथा बदहजमी का लक्षण रहता है

5.जिव्हा मे लेप सा चढा रहता है

6.मुँह का स्वाद कडुआ सा रहता है

7.कभी कब्ज रहता है कभी दस्त लगते है

8.रोगी को कभी कभी बुखार रहता है

9.रोगी की आंखे पीली रहती है

10.यदि यकृत उपरकी ओर बढता है तो कंधे की हड्डी मे पीडा होती है तथा नीचे की ओर बढता हैतो पेट मे दर्द होता है

उपचार-

1.रोग के मूल कारण को दुर करना ही इसकी उचित चिकित्सा है

2.आहार -विहार तथा स्वास्थ्यके नियमो का कडाई से पालन करना चाहिये

3.रोगी को कब्ज से बचाने के लिये उचित मृदु  विरेचन देना चाहिये

4.रोगी को दीपन पाचन औषधि देनी चाहिये

5.रोगी को कच्चे पपीते का साग तथा पका पपीता खाने को देना चाहिये

6.रोगी को विश्राम देना चाहिये

7.लिवर पर गरम सेंक करना चाहिये

8.यदि रोगी को बुखार हो तो साबूदाना तथा आरारोट का सेवन कराना चाहिये

सावधानी - 

रोगी का समय पर सही उपचार करा लेना चाहिये तथा किसी चिकित्सक के परामर्श से इलाज लेना  चाहिये, वरना

यह रोग घातक परिणामो की ओर लेजाता है इस रोग का सही इलाज ना होने पर कामला , सिरोसिस ओफ

लिवर आदि रोग हो सकते है

Tuesday 8 September 2015

गैस के लिये घरेलू उपचार

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गैस के  लिये घरेलू उपचार

1. एक चम्मच नीम्बू का रस , एक चम्मच  पिसी हुई अजवायन ,आधा कप पानी मे मिलाकरसुबह शाम पीये,

2. एक गिलास पानी मे एक नीम्बू  निचोड कर चौथाई चम्मच मीठा सोडा मिलाकर नित्य पीये

3. आधा गिलास गरम जल मे आधा नीम्बू निचोड कर जरा सी पिसी हुई काली मिर्च की फांकी लेकर पानी पी ले

4. सोंठ एक चम्मच, साबुत अजवायन 50ग्राम , नीम्बू के रस मे भिगोकर छाया मे सुखा कर रखे , जब  भी

 खाना खाये ,इसकी एक चम्मच चबाये


5 पेट मे गैस के साथ यदि कब्ज भी हो तो – छोटी हरड को तवे पर सेंक कर पीस ले, तथा इस पाउडर को सुबह 

भुखे पेट गरम पानी से नियमित ले




Saturday 5 September 2015

कष्टार्तव...”(Dysmenorrhea).. एक कष्ट कारक रोग ...



यह रोग प्रायः थोडा या ज्यादा सभी लडकियो, महिलाओ मे आज कल मिल जाता है ,आज कल का खान पान , रहन-सहन कुछ ऐसा हो गया है जिसके कारण यह रोग अक्सर सब फिमेल्स मे मिल जाता है , कुछ महिलाये इस रोग को लापरवाही के कारण भी इलाज नही करवाती है, कुछ शर्म के कारण भी , मेरी प्रेक्टिस मे मैं ने ऐसी बहुत रोगिणी देखी है जो इस रोग से टीन एज से ही परेसान थी लेकिन उनका इलाज लगभग या तो शादी के कुछ दिन पहले या फिर शादी के बाद ही करवाया गया  है, यह लेख मै उन्ही पढी लिखी बहिन बेटियो के लिये ही लिख रहा हुँ, जो इस रोग की गम्भीरता को नही जानती और समय रहते लापरवाही से इलाज मे कोताही बरतती  है , इस लेख को पढ कर वे इस रोग के बारे मे जानकारी प्राप्त कर रोग से सावधानी पुर्वक बच सकती है तथा कुछ घरेलू  इलाज खुद भी कर सकती है ... , इस लेख को पढे , तथा अपने परिचित लोगो को भी पढाये,
 
परिचय –

इस रोग मे ऋतु ( पिरियड) के समय जोर का दर्द होता है , रक्त कभी कम भी आता हो , चाहे अधिक आता हो , लेकिन रोगिणी दर्द के मारे बैचेन हो जाती है , दर्द इतना भयानक होता है कि कभी – कभी तो रोगिणी बैहोश हो जाती है , दर्द पेट के नीचे के भाग मे होता है , इस रोग को आयुर्वेद मतानुसार योनी गत वायु रोग माना गया है , जिसमे रक्त दुषित हो जाता है तथा वायु को भी दुषित कर देता है, फिर वायु शूल(pain) को जन्म देती है,

रोग के कारण –

1. गर्भाशय(uterus) का विकृत विकास
2.गर्भाशय की रचना मे विकार
3. गर्भाशय का अपनेस्थान से हट जाना
4. गर्भाशय की पेशियो की हीनता
5. रजः स्राव का अप्राकृत होना – इसमे खून के थक्के आते है जिससे पीडा होती है

उपरोक्त सभी  कारण खतरनाक हो सकते है यदि दर्द युक्त पीरियड आता है , तो तत्काल किसी योग्य चिकित्सक से जांच करवा कर इलाज लेना  चाहिये, और यह पता तो अवश्य ही कर लेना चाहिये कि किसी प्रकार की फिजीकल प्रोबलेम तो नही है यदि है तो समय रहते उपचार करवा लेना चाहिये, वरना यह रोग बांझ पन का भी कारण हो सकता है , शादीशुदा जिंदगी को भी बर्बाद कर सकता है ,

कुछ और भी सामान्य कारण है जिनका उपचार सामान्य रूप से किया जा सकता है

अन्य कारण—

1. भय, क्रोध , शोक, मानसिक आवेग ,
2. मिथ्या आहार- विहार, मिथ्या व्यायाम
3. उग्र संगम इच्छा, कृत्रिम या अप्राकृत मैथून , मासिक धर्म के एकदम पहले या बाद पुरूष सहवास
4. कमजोर शरीर , दुबला पन
5. ठंडक आदि के लगने से भी यह रोग हो सकता है
6. इस रोग के बारे मे ज्यादा सोच विचार करने से भी यह रोग हो सकता है

उपरोक्त कारणो से बचा जा सकता है, सामान्य प्रयास करके इस रोग से निजात पाई जा सकती है

  रोग के भेद –

1. रक्ताधिक्यजन्य- खून की अधिकता के कारण (Congesstive) –

यह रोग प्रायः 30 वर्ष की आयु मे होता है, पेट के निचले भाग मे भारीपन होता है , चिड- चिडापन अवसाद , और मानसिक लक्षण भी होते है

2.आकुंचन जन्य(Spasmodic)-आक्षेप के कारण –

यह दर्द लेटने पर कम हो जाता है इस प्रकार के विकार मे दर्दमे पहले दिन से ही होने लगता है , इस विकार से पीडित लडकिया प्रायः कुमारी या निसंतान होतीहै , यह विकार 19 से 21 वर्ष की आयु मे अक्सर होता है, रोगिणी को मिचली या उल्टी होती है

3. झिल्ली दार बाधक (Membranous)—

इस प्रकार के विकार मे झिल्लीदार मासिकधर्म आता है,यह विकार विशेष रूप से अविवाहित महिलाओ मे होता है, यदि विवाहित मे होता है तो वह शिघ्र ही बांझ पन का रूप धारण कर लेता है 

4.स्नायविक (Nervous) नाडीजन्य –

इस विकार मे तीन दिन तक बहुत तेज दर्द होता है , रोगिणी को मिरगी के समान मुर्छा हो जाती है , यह दर्द पेट से शुरूहोकरपीठ और जांघो तक होता है, रोगिणी को सम्भोग के समय भी तीव्र पीडा की अनुभूती होती है

  सामान्य उपचार ---

1. इसरोग मे जहाँ तक हो सके ओपरेशन नही करवाना चाहिये,
2. रोगिणी को पौष्टिक आहार लेना चाहिये
3. रोगिणी को स्वच्छ ,खुली हवा, एवम प्रकाश  मे व्यायाम तथा परिश्रम करना चाहिये
4. अंकुरित धान्य – गेँहू आदि का पर्याप्त मात्रा मे प्रयोग करना चाहिये
5. गर्म पानी से स्नान, शीघ्र पचने वाला आहार लेना चाहिये

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Wednesday 15 July 2015

दर्द युक्त मासिकधर्म ( Dysmenorrhea ) का घरेलू इलाज --

परिचय-


आयुर्वेद मतानुसार यह एक योनिगत वायु रोग है,जिसमे रक्त दुषित हो जाता है, जिससे मासिकधर्म आने के समय पेट मे नीचे  के भाग मे बहुत ही तेज दर्द होता है जो कि असहनीय होता है रोगिणी के सांस  फूल जाती है पुरे शरीर पर दर्द के कारण पसीने आ जाते है, रोगिणी तडफने लगती है, इस रोग को आयुर्वेद मे कष्टार्तव तथा आधुनिक विज्ञान मे डिस्मेनोरिया (dysmenorrhea)  कहते है


सलाह-

 इस रोग मे यदि समय पर  उचित चिकित्सा ना मिले तो कई बार प्राण संकट मे आ जाते है,प्राण चाहे बाहर ना निकले लेकिन स्थिति कुछ निकलने जैसी ही हो जाती है, इसके लिये उचित इलाज करवाने की व्यवस्था समय पर करनी चाहिये, फिर भी यदि कुछ प्राथमिक उपाय समय पर मिल जाये तो रोगिणी को कुछ समय के लिये ही सही दर्द मे राहत मिल जाये तो अच्छा ही है

चिकित्सा-

आयुर्वेद मे इस रोग को ठीक करने के लिये बहुत औषधियाँ है जिनसे इस कष्टार्तव नामक रोग का उपचार हो सकता है,लेकिन जब कभी यह दर्द होने लगे तथा समय पर किसी चिकित्सक के पास पहुँचना सम्भव नही हो सके तो कुछ घरेलू उपाय किये जा सकते है ,मै यहाँ पर कुछ सामान्य घरेलू नुस्खे लिख रहा हुँ,इसका खुद (यदि पीडित हो तो)  प्रयोग करे तथा अपने परिचित किसी पिडित को भी बताये--

(1)   भोजन मे गुड,दही, अम्ल पदार्थ,मछली,बैंगन,उडद,आदि का पर्याप्त मात्रा मे सेवन करना चाहिये

(2)   मासिक धर्म के समय गर्म पानी से पेडु पर सेंक करना चाहिये और रोगिणी को  गरम पानी पीने को देना चाहिये,

(3)   सोंठ,बदाम,गुड,और घी इन तीनो को मिला कर गर्म करके देना चाहिये

ये उपाय घर पर करने से दर्द मे राहत मिलती है एक कारगर नुस्खा लिख रहा हुँ जिसे प्रयोग कर के रोग मे तत्काल राहत पाई जा सकती है

नुस्खा-

कपास के पौधे की जड             60ग्राम
गाजर के बीज                         60ग्राम
सोया के बीज                          40ग्राम
खरबुजा के बीज                       40ग्राम

इन सबको कूट पीस कर एक जगह मिला ले, फिर करीब 20ग्राम औषधि को एक गिलास पानी मे डाल कर उबाल ले,जब आधा शेष रहे तब छान कर कष्टार्तव से पीडित रोग़िणी को पिलाये तत्काल दर्द मे राहत मिलेगी, इस दवा को लगातार पांच दिन तक सुबह और शाम ले,

इस रोग के बारे मे विस्तृत जानकारी इसी ब्लोग पर मेरी अगली पोस्ट मे मिलेगी, तो पढते रहे मेरा ब्लोग-nirogikaaya.blogspot.com

Sunday 12 July 2015

बरसात मे पाचन शक्ति बनाये रखने का उपाय---

यह मौसम  वर्षा ऋतु का है इस मौसम मे चारो तरफ किचड ही किचड रहता है तथा इन दिनो मे कई प्रकार की जल - जनित मौसमी बिमारिया होती रहती है, इस ऋतु मे वायु के विकार या युँ कहे कि बादी से होने वाले रोग भी होते है, इस ऋतु मे अक्सर पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, पेट फुलना,गैस बनना,बदहजमी आदि रोग हो जाते है, इस ऋतु मे वायु की मात्रा अत्यधिक रूप से शरीर मे स्वाभाविक रूप  से बढी हुई रहती है, ऐसे मे यदि हम वायु वर्धक भोजन करेंगे तो हमारे शरीर मे वायु से होने वाले विकार (रोग) ज्यादा मात्रा मे हो जायेंगे और कई  परेशानियाँ उत्पन्न कर देंगे,तथा पाचन शक्ति को खराब कर देंगे,



कैसे बचे वायु विकारो से ?



हमे जब किसी बात की जानकारी  हो जाती है तो हम उस जानकारी के बलबूते काम को सही ढंग से कर सकते है, इसी प्रकार जब हमे यह पता चल जाये कि कौनसे पदार्थ वायु को इस ऋतु मे बढा देते है या ऐसा कौनसा भोजन है जिसके सेवन से वायु बिगड  सकती है तो हम उससे बच सकते है, शरीर मे जितने भी शूल (दर्द) होते है आयुर्वेद के अनुसार वे सभी शुल(दर्द) वायु की विकृति से ही होते है"वातात शुलम......"  लेकिन हम यदि वायु - वर्धक आहार का सेवन ना करे या कम या उचित मात्रा मे ही करे तो उदर  (पेट) सम्बंधित कई रोगो ,पाचन सम्बंधित रोगो से मुक्त हो सकते है या बच  सकते है



वात वर्धक पदार्थ 

चना,  मटर,  मसूर  आदि का साग,   दाल,   चटनी,   बेसन केलड्डु ,    आलु,  कटहल,   मुंगफली,  बासी भोजन, खट्टा भोजन,   नया अन्न  आदि पदार्थ  वायु कारक है



वात वर्धक विहार-


अधिक उपवास करना,   दौडना ,  कूद फांद करना,   तैरना,   चिंता,   शोक,   श्रम,   मैथून,   जुलाब,   रक्तश्राव, रात्री जागरण   आदि कारणो से वात की  वृद्धि  होती है  और पाचन शक्ति कम हो जाती है,

इस प्रकार से सावधानी पुर्वक हम आहार - विहार करे तो हम  कई प्रकार के रोगो से बच  सकते  है अतः हमेशा सजग रह कर स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिये 

Sunday 5 July 2015

पेट दर्द का घरेलू इलाज –

 परिचय-

गलत आहार – विहार और गलत समय पर भोजन करना ही पेट के विकार उत्त्पन्न करता है और गरिष्ठ भोजन तो पेट के विकारो की जड होता है,जब अचानक रात मे पेट दर्द हो जाये तो यह उपाय सभी के लिये कारगर हो सकता है इस नुस्खे को बना कर घर मे रखे जब भी इसकी आवश्यकता हो प्रयोग मे लाये, आयुर्वेद हमारी जीवन पद्धति है , इसे जब हम जीवन से जोड देते है तो यह हमारे लिये माँ की तरह रक्षा करती है यह घरेलू उपाय हमेशा हमारी रसोई मे उपलब्ध रहते है


नुस्खा ( चिकित्सा)-

100 ग्राम अजवायन को साफ कर के धो ले और सुखा ले, फिर इस अजवायन को किसी कांच के बर्तन मे रख कर उस बर्तन को नीम्बू के रस से भर दे, इस बर्तन को खुला ही धूप मे तब तक रहने दे ,जब तक नींबू का रस सूख जाये, इस क्रम को दो-तीन बार दोहराये, अंतिम बार नींबू के रस के साथ काला नमक स्वादानुसार पीस कर डाल दे, सूख जाने पर इसे पैक डिब्बे मे भरकर रख दे, जब भी कभी पेटदर्द करे , खट्टी डकारे आये, या जी मिचलाये,तो एक चम्मचचुर्ण गर्म पानी के साथ ले, थोडी देर मे आराम मिल जायेगा,


  






बालो की समस्या का घरेलू इलाज—


परिचय – 

आजकल का खान पान तथा रहन-सहन ऐसा हो गया है कि कम उम्र के बच्चो के बाल असमय ही सफेद होने लगे है तथा बहुत ही तीव्र गति से झडने भी लगे, बालो का गिरना और झडना एक प्रकार की त्वचा की बिमारी है जब चमडी मे स्नेह की मात्रा कम हो जाती है और शरीर मे रूखा पन आ जाता है तो बाल कम उम्र मे ही सफेद होने लगते है और झडने भी लगते है, आज एक नुस्खा यहाँ लिख रहा हुँ जिसका प्रयोग करके सिर के बालो का रूखा पन ठीक करके बालो की समस्या से निजात पा सकते है ,

नुस्खा (चिकित्सा) –

सामग्री-

बड ( बरगद) के कोमल पत्ते - एक किलो
तिल का तेल                        - एक लीटर
मेहंदी                                   -   50 ग्राम
नीम के पत्ते                          -  50 ग्राम
 बडे नीम्बू                             -  दो नग

निर्माण विधि-

लोहे की कडाही मे तैल गरम करे, फिर सभी द्रव्यो को कूट पीस कर और नीम्बू का रस तैल मे डाल कर उबलने दे, आंच धीमी रखे, जब पत्ते काले पड जाये तो उतार ले और 3-4 दिन तक ढक कर रखे ,इसके बाद पतले कपडे से छान कर बोतल मे भर ले ,

प्रयोगविधि –

रात को सोते समय इस तैल को बालो की जडो मे और दोनो पैरो के तलुओ मे लगा कर हल्के – हल्के मालिश करे 2-3 महिनो मे बालो की समस्याये ठीक हो जायेंगी



बवासीर (मस्सा) का घरेलू उपाय

 बवासीर (मस्सा) का घरेलू उपाय –

परिचय-

बवासीर एक भयानक रोग है बहुत ही कष्ट देने वाला रोग है इसका इलाज बडा ही कठिन है , इस रोग से बहुत लोग त्रस्त है , आज कल इस रोग से ग्रसितलोग प्रत्येक घर मे कोई ना कोई तो मिल ही जायेगा, इस रोग के लिये कुछ सावधानिया मै ने इसी ब्लोग पर  पोस्ट(disease) मे लिखी है-"अर्श रोग मे सावधानिया" पढना ,

प्रकार-

 यह रोग दो प्रकार का होता है खूनी और बादी , जिसमे खून गिरता है वह खूनी और जिसमे सिर्फ सुजन और जलन होती है वह बादी बवासीर कहलाता है,

सलाह-

इस रोग के लिये एक बडा ही सरल और बेहद कारगर नुस्खा लिख रहा हुँ यदि आप को या आपके किसी परिचित को यह बिमारी हो तो इस घरेलू उपाय का प्रयोग कर लाभ उठाये और लोगो को भी बताये –

नुस्खा (चिकित्सा) –

 नारियल के ऊपर की जटा ले कर जला ले, जब जटाये जल कर राख हो जाये तब इसकी राख को छान कर कांच के साफ जार मे भर कर रख दे, ताजा दही कटोरी भर कर ले कर इसमे एक चम्मच राख घोल दे, इस राख के अलावा दही मे शक्कर या मिर्च- मसाला कुछ भी ना मिलाये , इस घोल को सुबह  उठते ही बिना कुछ खाये -पिये , पी जायेइसके एक घंटे तक कुछ भी खाये –पीये नही, ऐसा तीन दिन तक करे, खून गिरना बंद हो जायेंगे और बादी बवासीर मे भी आराम मिलेगा,


पायरिया का घरेलू उपाय

पायरिया का घरेलू उपाय—

परिचय-

दांतो की उचित रूप से सफाई ना होने के कारण दांतो से खून और मवाद निकलने लग जाती है और दांतो मे खुजली आती रहती है मुँह से बदबू  आती है किसी से बात करते समय शर्मिंदगी महशूस होती है

लक्षण-

 मसुढे खराब होना, पिलपिले होना, कमजोर होना, उनसे खून निकलना, और मुँह से बदबू आना आदि 

सलाह-

इस रोग को ठीक करने के लिये उचित उपाय लिख रहा हुँ यदि आप लोगो को फायदा मिले तो अपने पडोसी, मित्र , सम्बंधी को भी बताना, यह एक घरेलू उपाय है इस का प्रयोग करने पर भी यदि फर्क ना दिखाई नही दे तो किसी दांतो के चिकित्सक से उचित सलाह और इलाज ले , क्योकि पायरिया रोग पेट सम्बंधित कई प्रकार की बिमारियो का कारण हो  सकता है , प्रस्तुत उपाय भी बडा ही कारगर है आप एक बार प्रयोग अवश्य ही करे –

नुस्खा (चिकित्सा) – 

फिटकरी और सैंधा नमक समान मात्रा मे ले कर अलग-अलग पीस कर खूब महीन बारीक चुर्ण करके मिला ले,  इसे दिन मे तीन बार मसुढो पर लगा कर अंगूली से मले, साथ ही इसी मिश्रण को पानी मे एक चम्मच घोल कर कुल्ले करे , दिन मे तीन बार यह उपाय करने से पायरिया रोग जड से ठीक हो जाता है  
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Sunday 21 June 2015

Yoga Day 2015 -- Yoga training in tribes Area

कपाल भाती करते हुये डाँ.वेदप्रकाश कौशिकAdd caption
ताडासन करते हुये आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीण जन  एवम आसन करवाते हुये डाँ. कौशिकAdd caption
योग के बारे मे ध्यान से सुनते हुये कोठार ग्राम के  ग्रामीण लोगAdd caption
चक्रासन करते हुये डाँ. कौशिकAdd caption
योग के बारे मे बताते हुये डाँ. कौशिकAdd caption
आज 21जुन 2015 को पुरे विश्व मे प्रथम योग दिवस मनाया गया, यह बडी प्रसन्नता की बात है कि आज राजस्थान के पाली जिले के छोटे  से गांव कोठार मे भी यह योग दिवस मनाया गया , स्वस्थ रहने के लिये योग से बढकर और कोई तरीका नही है पुरे विश्व को आज यह सब भारत से  मिला है,मैंने भी आज आदिवासी क्षेत्र के इस गांव मे लोगो को योग के बारे जानकारी दी तथा योग करना भी सिखाया है, कुछ फोटो शेयर करने का मन था इस लिये कुछ फोटो शेयर कर रहा हुँ, आप लोगो को भी यदि योग एवम आयुर्वेद के बारे कुछ जानना है या कुछ सुझाव देने है तो आप Contact पर अपनी बात लिख कर मुझे भेजे, मै आप लोगो के सुझाव और कमेंट  का इंतजार कर  रहा हुँ

Yoga Day 2015 by Dr.vedprakash kaushik

Thursday 11 June 2015

Yoga for skill development (जानिए कैसे बढाये योग से हुनर? )

Yoga for skill development -


(A)योग से हुनर बढाये -

मानव – जीवन की सर्वोत्कृष्ट उप्लब्धि है पुरुषार्थ चतुष्टय  की प्राप्ति करना,ये चार पुरुषार्थ है –धर्म, अर्थ, काम ,मोक्ष , इनको प्राप्त करने का साधन है योग,
मानवके शारीरिक, मानसिक,नैतिक, और आध्यात्मिक मुल्यो की प्रतिष्ठापना का उपदेष्टा है योग शास्त्र

* योग क्या है ? – योग का साधारण सा अर्थ है जोडना, इस प्रकार कतिपय आचार्य कहते है कि “ शरीर ,मन, आत्मा की समग्र शक्तियो को परमात्मा मे लगा देना ही योग कहलाता है, हमारा शरीर तीन स्तरो मे बंटा हुआ है शरीर , मन, आत्मा – ये तीनो जब एक लय मे आ जाते है तो हमारे अंदर की प्रतिभा चमक उठती है और हमारा हुनर प्रगट होने लगता है इन तीनो को एक लय मे लाने की क्रिया को ही योग कहते है,कुछ बाधा पहुचाने वाली वृतियाँ है उनका का निरोध करना ही योग है “योगश्चित्वृतिनिरोधः “
योग के अनेक प्रकार है –कर्म योग ,ज्ञानयोग ,भक्तियोग , अष्टांग योग , राजयोग, हठयोग, लययोग,जपयोग, और ना जाने कितने योग है 

(1)योग से हुनर कैसे बढाये (how to develop skill by yoga) -
जब हम किसी भी लक्ष्य को पाने की कोशीश करते है तो कुछ बाधाये आती है उन बाधाओ को पार करके लक्ष्य की प्राप्ती कर लेना ही योग है जीवन के लक्ष्यो को पाने मे बाधा पहुचाने वाली वृतियाँ पांच है 

* प्रमाण-- प्रत्यक्ष, अनुमान,और आगम ये तीन प्रमाणहै

* विपर्यय—मिथ्याज्ञान या भ्रांत धारणा को विपर्यय कहते है

* विकल्प--- जिसका विषय वास्तवमे नही है, वह विकल्प है जैसे –किसी धनी का अपने को दरिद्र समझ कर कंजुसी करना या किसीदरिद्र का अपने आप को धनी समझ कर खर्चिला बनना

* निद्राज्ञान के अभाव को ग्रहण करने वाली वृति निद्राकहलातीहैं

* स्मृति—स्मरण के द्वारा अपने अतीत के दुःखो को याद करके दुःखी होना स्मृतिहै , इन वृतियो का निरोध करना ही योग है 

ये पांच चित की वृतियाँ होती है यह जीवन के लक्ष्य मे बाधा है जीवन का लक्ष्य है पुरुषार्थ चतुश्टय की प्राप्ति, जिसमे अंत मे मोक्ष है जो भगवत प्राप्ति के बाद मे मिलता है लेकिन मेरे विचार मे ऐसा नही है श्रीमदभगवत गीता मे कहा है कि “यद्ध्यविभूतिमत्सत्वमश्रीमदुर्जितमेव वा, तत्तदेवावगच्छ त्वम मम तेजोनश्सम्भवम, अर्थात – हे अर्जुन जो जो ऐश्वर्ययुक्त, कांतियुक्त, और शक्ति युक्त वस्तुये है , उन उन को तु मेरे तेज का अंश मात्र से उत्पन्न हुई जान,
इसका मतलब यह हुआ कि संसार मे जो भी ऐश्वर्य युक्त वस्तु है वो भगवान का अंश है और योग भी यह कहता है कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है हमारे जीवन का लक्ष्य भी पुरुषार्थ चतुश्टय की प्राप्ति करना है इस लिये जीवन को ऐश्वर्य सम्पन्न बनाना या ऐश्वर्य की प्राप्ती करना, कांति या शक्ति प्राप्त करना ही भगवत प्राप्ति है अब हम अपने जीवन को इस शरीर के माध्यम से ऐश्वर्य सम्पन्न कैसे बनाये,इस पर विचार करेंगे तो हमे पता चलता है कि सब कुछ छोड कर एकाग्रमन से भगवान की यानी लक्ष्य की प्राप्तिमे जुट जाना ही योग है  इस कार्य मे योग के जो आठ अंग है वे हमारी मदद करते है,योग के माध्यम से हम यह जान पाते है कि हमारे अंदर ऐसी कौनसी प्रतिभा है या हुनर है, और जब जान जाते है तो उसे निखारने के लिये योग हमारी मदद करता है, जो बाधाये है उनसे पार पाने मे योग मदद करते है  और फिर अनवरत अभ्यास से मंजिल मिल जाती है फिर चाहे कोई विद्ध्यार्थी हो, चाहे बिजनस मैन हो, चाहे खिलाडी हो अपना हुनर skill बढा ही लेते है
क्या है योग के आठ अंग –

1- यम- उच्च नैतिक शिष्टाचार का मनसा वाचा कर्मणा पालन
2- नियमव्यक्तिगत चारित्रिक अनुशासन के सेतु
3- आसनशरीर , मन और आत्मा का पुर्ण सन्तुलन, स्थिर एवम सुखकर शरीरिक स्थिति
4- प्राणायाम – श्वासोका विस्तार एवम नियंत्रण ,श्वसन ,उछ्श्वसन और धारण तथा प्राणशक्ति का नियामन
5- प्रत्याहार – मनोनिरोध, इंद्रिय- विषयो के आकर्षण पर विजय तथा इंद्रियो को वश मे करना
6- धारणा – किसी एक बिंदु पर या कार्य पर मन की पुर्ण लवलीनता
7- ध्यान – ध्यान उस अवस्था का नाम है जब साधक स्वम को चिन्मात्र ब्रह्मतत्व  समझने लगता है
8- समाधि- मन का आत्मा के साथ एकाकार होना, जीवात्मा का ब्रह्म मे लीन हो जाना तथा चित्त का ध्येयाकार मे परिणत हो जाना

ये आठ अंग है जिससे हम अपने जीवन को सुख मय बना सकते है अब इस पुरे आठ अंगो को हुनर बढाने के क्रम मे ले तो इस प्रकार ले सकते है
मन को लक्ष्य मे लगाने के लिये- यम
आत्मा को लक्ष्य मे लगाने के लिये – नियम
शरीर को लक्ष्य मे लगाने के लिये – आसन
मन और शरीर को मिलाने के लिये – प्राणायाम
आत्मा और शरीर को मिलाने के लिये – प्रत्याहार
मन और आत्माको मिलाने के लिये – धारणा
आत्मा को पुर्णरूप से परमात्मा( लक्ष्य) मे लगाने के लिये – ध्यान
सत्चितानन्द (लक्ष्य ) की प्राप्ति – समाधि