Sunday 15 March 2015

पानी भी एक दवा है...शायद "अमृत"(Water Therapy)

            हमारे शास्त्रो मे लिखा है- "अजीर्णे भेषजम वारि, जीर्णे वारि बलप्रदम" अर्थात अजीर्ण मे पानी दवा का काम करता है और भोजन पचने के बाद पानी  पीने से शरीर मे बल होता है,बहुत से रोगो मे यह दवा का काम करता है,ठंडे और गरम जल मे अलग-अलग औषधीय गुण होते है कई रोगो मे ठंडा पानी और कई रोगो मे गरम पानी दवा का काम करता है
            जब कभी किसी को आप आग से जलने या झुलसने से आक्रांत देंखे ,तुरंत उसके जले झुलसे अंग को ठंडे पानी मे कम से कम एक घंटा डुबोकर रखे -उसे परम शांति मिलेगी ,जलन दूर होगी और घाव का फफोला नही होगा ,यदि पुरा शरीर जल जाय तो तुरंत उसको बडे पानी के होज मे या तालाब मे डुबो दे श्वास लेने के लिये नाक को बाहर रखे जला -झुलसा अंग एक दो घंटे पानी मे डुबा रहे, यह याद रखे कि उस पर पानी छिडके नही बल्कि डुबाकर ही रखे मात्र पानी छिडकने से हानि हो सकती है पानी मे डुबोकर रखना ही कारगर इलाज है,बहुतो को ऐसा भ्रम है कि पानी मे डुबोने से घाव बढेंगे,सच्ची बात यह है कि जले अंग पर पानी छिडकने से या बाल्टी भर कर उडेलने से घाव बढ जाते है जबकि पानी मे डुबोकर रखने से घाव बनेंगे ही नही,सामान्यतया यह संभव नही है यह केवल प्राकृतिक चिकित्सालयो मे ही संभव हो सकता है,
             इसी तरह जब किसी को मोच आ जाये या चोट लग जाये तो तुरंत उस स्थान पर खूब ठंडे पानी की पट्टी लगा दे -बर्फ भी लगा सकते है ,इससे ना तो सुजन होगी ,न ही दर्द बढेगा, गरम पानी की पट्टी लगायेंगे या गरम पानी से सेंक करेंगे तो सुजन आ जायेगी और दर्द बढ जायेगा, यदि चोट लगने या कटने से खून आ जाये तो वहाँ बर्फ या खूब ठंडे पानी की पट्टी चढा दे, आराम होगा,
             गरम पानी का लाभ वात रोगो-जोडो के दर्द,कमर का दर्द,घुटनेका दर्द, गठिया,कंधे की जकडनमे होता है,इसमे गरम पानी का या भाप का सेंक दिया जाता है
              इंजेक्शन लगाने के बाद यदि सुजन आ जाये या दर्द हो जाय तो ठंडे पानी की पट्टी या बर्फ लगाये,वहाँ गरम पानी का सेंक नही करे,
               यदि रात मे नींद ना आती हो तो सोने के पहले दोनो पैरो को घुटनो तक सहने योग्य गरम पानी से भी बाल्टी या टब मे पंद्रह मिनट डुबोये रखे- इसके बाद पैरो को बाहर निकाल कर पोंछ ले और सो जाये,नींद आयेगी यह ध्यान रखे कि जब गरम पानी मे पैर डुबोये तब सिर पर ठंडे पानी मे भिगोकर निचोडा हुआ तौलिया अवश्य रखे,
               अस्पतालो मे दिया जाने वाला सेलाइन एक तरह का नमकीन पानी ही है बच्चो मे डायरिया होने पर दिया जाने वाला ओ आर एस भी पानी की कमी पुर्ति के लिये ही पिलाने की सलाह दी जाती है पानी की कमी से मृत्यु तक हो सकती है
               आयुर्वेद मे जल का बहुत ही विस्तृत वर्णन किया गया है-गुण कारक जल वह होता है जो गंध रहित, स्वादरहित,अत्यंत शीतल,तृष्णा शमन करने वाला,स्वच्छ ,लघु  होता है, इन गुणो से अतिरिक्त हानिकारक होता है
               आयुर्वेद ग्रंथ भावप्रकाश मे जल के अनेक प्रकार,प्राप्तिस्थान एवम स्वरूप भेद बताये है सामान्यतः जल परिश्रम नाशक, ग्लानिकारक,बल्य,तृप्तिकारक,हृदय को प्रिय लगने वाला, हितकारी, शीतल,हल्का, पिपासा, तंद्रा,एवम वमन नाशक होते हुये दैनिक जीवन मे अत्यावश्यक है
               जीवन मे जितनी आवश्यकता भोजन की है उससे अधिक आवश्यक तत्व जल है यह पंच महाभूतो मे से एक महाभूत है, इसके सन्योग के बिना किसी भी प्राणी की उत्पत्ति नही हो सकती और न ही कोई प्राणी जीवित रह सकता है अतः "अमृत" कहा गया है              


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