Wednesday 4 October 2017

डर ( FEAR ) लगना क्या कोई रोग है ?

हम रोज एक बात सुनते है "डर के आगे जीत है" यानि जीत हासिल करने के लिए डर से पार जाना पड़ेगा । अब विचार इस बात का है कि क्या डर अपने शारीरिक और मानसिक विकास में बाधक है ? क्या हम इस डर के कारण आगे नही बढ़ पा रहे है ? क्या यह डर कोई रोग है ? यह बाते रोज दिमाग में आती है । सभी लोगो के दिमाग में आती होंगी । क्योकि संसार में ऐसा कोई विरला ही होगा जिसे डर नही लगता होगा । भय लगना यानि डर लगना एक आम बात है । इस संसार में बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हें डर नही लगता है ।


क्या है डर ?
डर एक प्रकार का मानसिक रोग है यह मन में उठने वाली तरंग है । इसे भय भी कहते है । भय से पूरा शरीर पसीने पसीने हो जाता है । हाथ पैर कांपने लगते है । या सुन्न पड़ जाते है । सभी लोग डरते है , किसी किसी को डर के मारे पेसाब निकल जाता है । कई लोग बिस्तर में भी पिसाब कर देते है ।
किस बात से लगता है डर ?
यह डर प्रत्येक व्यक्ति में अलग अलग हो सकता है । किसी किसी को कई प्रकार से डर लगता है । कभी व्यक्ति भविष्य से डरता है । कभी अकेलेपन का डर लगता है । कभी अस्थिरता का डर सताता रहता है । मन में कोई ना कोई डर छाया ही रहता है । कोई कुछ कह देगा , लोग क्या कहेंगे, कभी बीमार ना हो जाऊं, किसी से झगड़ा ना हो जाये , किसी गलती के कारण पकड़ा न जाऊ , इनकम टैक्स , आदि बहुत से विचार सारे दिन आते ही रहते है । भूत - प्रेत का भी डर लगता है । बदनामी, गरीबी, आतंक, हारने का डर, जीत को बरक़रार रखने का डर । बहुत प्रकार के डर है जो हमे परेशान करते है ।
डर क्यों लगता है ?
आयुर्वेद ग्रंथो में मानसिक रोगों का कारण रज और तम गुण को माना है । जब शरीर में सत्व गुण की कमी हो जाती है तब शरीर में यह भय रूपी रोग उत्पन्न  होता है । भगवान श्री कृष्ण ने गीता में भी कहा है "निर्भयम सत्त्वं संशुद्धि" अर्थात जब शरीर में सत्व की प्रबलता हो जाती है तो मनुष्य निर्भय (भय हीन, डर रहित) हो जाता है । इसलिए यह कहा जा सकता है कि रजोगुण, और तमोगुण इस रोग के कारण है । जब भय प्रारम्भ होता है जिससे वायु और पित्त की वृद्दि हो जाती है जिससे पसीने छूटना और घबराहट होना आदि लक्षण दिखाई देते है ।
एक कारण यह हो सकता है कि हमारे अंदर बैठे परमात्मा को जब हम भूल जाते है ।तो वह एक संदेश देता है कि आप कुछ गलत कर रहे हो । जिस प्रकार मोबाईल लेपटॉप आदि यंत्र सन्देश देते है जब हम कुछ गलत बटन दबा देते है तो you are doing some thing wrong. मतलब आप कुछ गलत कर रहे है । बिलकुल इसी तरह हमारे शरीर रूपी इस यंत्र में जब कुछ गलत होता है तो भय लगता है ।
हम गलत मार्ग पर चलते है तो दिल धड़क उठता है । भय उत्पन्न होने लगता है । कुछ शारिरिक या मानसिक गलतियां करते है तो भय उत्पन्न होने लगता है ।
गलत नहीं करते तो भय नही लगता है । ज्ञान के अभाव में डर लगता है । अंधकार ही भय उत्पन्न करता है । तीन शारीरिक दोष वात, पित्त, और कफ । दो मानसिक दोष रज और तम ये ही  रोग कारक है । सत्व से कभी भी रोग नही होता है ।
डर से कैसे बचें ? उपाय :-
हम ऐसा क्या करे कि डर ना लगे ? इस सवाल के जबाव में यही कहा जा सकता है कि अपने शरीर में सत्व गुण की प्रबलता विकसित करनी चाहिए ।
गलत काम करने से अपने आपको बचाना चाहिए ।
सत्संग को बढ़ाना चाहिए ।
प्रकृति और परमात्मा पर भरोसा रखना चाहिए ।

No comments:

Post a Comment