Monday 13 November 2017

हल्दी (Turmeric )


परिचय
रसोई घर में प्रयोग होने वाले मशालों में हल्दी अपना विशिष्ट स्थान रखती है ।यह कन्द रूप में पाई जाती है । जीवन में इसका बहुत ही उपयोग बताया गया है । हल्दी के बिना कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते है । हिन्दू धर्म में हल्दी को शादी विवाह में बहुत ही महत्व दिया जाता है । कई कार्यक्रम तो हल्दी के नाम से ही जाने जाते है जैसे हल्दी बान ।

सौंदर्य प्रसाधनो में भी इसका प्रयोग किया जाता है । उबटन बनाने , फेस पैक बनाने आदि में यह प्रयोग की जाती है ।

मशाले के अलावा कच्ची हल्दी की सब्जी भी बनाई जाती है । जब तेज सर्दी पड़ती है तब मारवाड़ राजस्थान में हल्दी की गोठ बहुत ही फेमस रहती है । जिसमे हल्दी की सब्जी और मक्की की रोटी का संयोग बहुत ही आनन्द प्रदान करने वाला होता हैं ।

हल्दी की कई प्रकार की होती है जिनमे चार प्रकार की हल्दी अलग अलग नाम और काम से जानी जाती है ।

1 सामान्य हल्दी :- यह हल्दी मशाले के रूप में काम में आती है जोकि प्रत्येक घर में मिल जाती है ।

2 आमाहल्दी :- इसके कंद और पत्तो में कपुर मिश्रित आम की खुश्बू आती है । इसलिए इसे आमाहल्दी ( mango ginger) कहते है ।

3. जंगली हल्दी :- यह बंगाल में पाई जाती है । यह रँगने के काम आती है ।

4 दारुहल्दी :- यह सामान्य हल्दी के समान गुण वाली होती है । इसके क्वाथ में बराबर का दूध डालकर पकाते है । जब वह चतुर्थांश रहकर गाढ़ा हो जाता है तब उसे उतार लेते है । इसी को रसांजन या रसौत कहते है । यह नेत्रो के लिए परम हितकारी है ।

आयुर्वेदीय उपयोग :-

आयुर्वेद के ग्रन्थों के अनुसार यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधी है । यह उष्ण वीर्य होती है । जिसके कारण यह कफवात शामक , पित्त रेचक, तथा वेदना स्थापन है ।
प्रमेह के लिए यह श्रेठ दवा है ।
यह रूचि वर्धक एवं रक्त स्तंभक है ।
इसका प्रयोग रक्त विकार , कफ विकार, अतिसार, जुखाम, डाइबिटीज, और चर्मरोग में भी किया जाता है ।

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