Saturday 11 February 2017

मूली (Raddish)


मूली का कन्द गाजर के समान, परंतु सफेद होता है । पत्ते नवीन सरसो के पते के समान, फूल सफेद,सरसो के फूलो के आकार के और फल भी सरसो के समान ही होते है। उन्हें "सोगरी" कहते है । बीज सरसो से बड़े होते है ।
बीजो में उड़नशील तैल होता है ।कन्द में आर्सेनिक 0.1मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में रहता है।
मूली भूख बढ़ाने , पेट के कीड़े नष्ट करने वाली, पाईल्स, और सभी प्रकार की सूजन को ठीक करने में उपयोगी है ।
आयुर्वेद के अनुसार कच्ची मूली कटु, तिक्त, उष्ण, रुचिकारक, पाचन, मधुर, बल्य, तथा मूत्र विकार, अर्श, क्षय, श्वास, कास, नेत्ररोग, एवं वात,पित्त, कफ,और रक्त विकारो को दूर करती है ।
पुरानी मूली चरपरी, गरम, अग्निवर्धक, होती है ।
मूली की फली सोगरी किंचित गरम और किंचित कफ और वात नाशक होती है ।
मूली - सब्जी, सलाद, के साथ साथ आयुर्वेद चिकित्सा में भी उपयोगी है । इसको अलग अलग प्रकार से प्रयोग कर रोगों का उपचार भी किया जा सकता है ।
आयुर्वेद चिकित्सा में मूली को रोगानुसार इस प्रकार प्रयोग किया जाता है ---
कामला रोग
मूली के ताजे पत्तो को जल के साथ पीसकर उबाल ले , दूध की भांति झाग ऊपर आ जाता है इसको छान कर दिन में तीन बार पीने से कामला रोग मिटता है ।
पीलिया में मूली की सब्जी खानी चाहिए ।
यकृत प्लीहा रोग
मूली की चार फांक कर के छः ग्राम पिसा नौसादर छिड़क कर रात को ओस में रख कर सुबह जो पानी निकले उसको पीकर ऊपर से मूली की फांक खाने से फायदा होता है ।
पथरी
मूली के पत्तो को 10 ग्राम रस में अजमोद मिलाकर पीना चाहिए । पथरी पिघल जाती है ।
बवासीर
मूली के पत्तो को छाया में सुखा कर पीसकर समान मात्रा में शक्कर मिलाकर 40 दिन तक 25 से 50 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए ।
मासिक धर्म
मूली के बीजों के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में देने से मासिक धर्म की रूकावट दूर होती है । गर्भवती महिला को मूली के बीजो का सेवन नही करना चाहिए । वरना गर्भपात होने की संभावना हो सकती है ।
दाद
मूली के बीजो को नींबू में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है ।
इंद्रिय शैथिल्य
किसी किसी व्यक्ति को इंद्रिय शैथिल्य ( शिश्न में उत्तेजना न होना) रोग हो जाता है ।इस रोग में यदि मूली के बीजो को तेल में औटाकर उस तेल की कामेन्द्रिय(शिश्न)  पर मालिश की जाये तो शिथिलता समाप्त हो जाती है और उत्तेजना पैदा होती है ।
इस प्रकार साधारण सी दिखनी वाली मूली हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है । इसलिए मूली का सेवन अवश्य ही करना चाहिए ।

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