Saturday 3 January 2015

चिकित्सा कराये --- सोच समझ कर -----

चिकित्सा कराये --- सोच समझ कर -----
          इस दौड़ लगाती दुनिया में किसी के पास भी कुछ समय निकालना बड़ा मुस्किल सा हो गया है। हर व्यक्ति ये चाहता है कि जो भी काम हो तत्काल हो जाये यानि चमत्कार हो जाये आँख बंद की और काम हो गया। लोग इसी भागदौड़ की जिंदगी में खुद के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ कर लेते है। हमारे देश में यह इतना विकराल हो गया कि सरकार को इस चमत्कार शब्द पर पाबन्दी लगानी पड़ी। कुछ नीम हकीम अपनी प्रेक्टिस मे इस शब्द का बेजा इस्तेमाल कर रहे थे, मुख्य रूप से आयुर्वेद चिकिसा में।
            चिकित्सा एक ऐसा जिम्मेदारी  का काम है जो पूर्णतया जीवन से जुड़ा हुआ है। इस कार्य को भी लोगों ने गैर जिम्मेदारी से करना शुरू कर रखा है। इस कार्य को बढ़ावा देने में निम्न बातों  पर ध्यान देने की आवस्यकता है
             कुछ लोग अंधविश्वास के मकड़जाल में इतने भंयकर रूप से जकड़े हुए हैकि उनको बीमारी भी भूतबाधा ही दिखाई देती है।  इस बात का फायदा उठाने के लिए कुछ इस प्रकार के लोग, जिसमे नीमहकीम ,तांत्रिक ,भोपा ,बाबा आदि आते है इसका फायदा उठाते है। ये लोग  इलाज के नाम पर कुछ भी  आधी -अधूरी दवा पकड़ा देते है और कुछ झूठमूठ का मंत्र फूंक देते है।  इनके जाल में अनपढ़ ही नहीं पढ़े -लिखे लोग भी आ जाते है। इसका मुख्य कारण ये आपाधापी भरी जिंदगी है जिसमे लोग इतने उलझे हुए है कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि सही क्या है और गलत क्या है।  लोग भूल जाते है कि वो क्या कर रहे है।वे सोचते है कि  बस जल्दी से कोई जादू की पुड़िया मिल जाये और मै झटपट ठीक हो जाऊ ,लेकिन ऐसा होता नहीं है। उल्टा उनको नुकसान ही होता है।
                 दुनिया में हर तरह के लोग रहते है हम उनके बारे में अलग अलग धारणा अपने आप बना लेते है कि अमुक आदमी सही है अमुक गलत है इसी प्रकार की धारणा लोग चिकित्सक के बारे में भी बना लेते है। लेकिन मेरा यह मानना है कि चिकित्सक के बारे में कोई भी धारणा बनाने से पहले उसका व्यहार उसकी योग्यता जरूर देखनी चाहिए। यहाँ अच्छे लोग भी है तो बुरे लोग भी है।
                  चिकिसा एक सेवा युक्त कार्य है जिसमे सुधार और बिगाड़ दोनों सम्भव है। कोई भी योग्यता धारी चिकित्सक किसी के साथ धोखा छल प्रपंच नहीं करेगा। लेकिन हम ये धारणा बना लेते है कि सभी चिकित्सक लुटेरे होते है और जो हमारे घर के पास नीमहकीम बैठा है वह कम पैसे में शर्तिया इलाज करता है। ऐसी धारणा से हम खुद अपना जीवन किसी ऐसे आदमी को सौंप देते है जो शरीर के बारे बस इतना जानता है कि इसका शोषण कैसे किया जा सकता है उनकी मीठी मीठी बातों में उलझ कर हम इन मुन्ना भाइयो से इलाज जैसा सुरक्षित कार्य करवा लेते है।
                 "आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा है कि गरम गरम सीसा पी लेना अच्छा है लेकिन किसी कुवैध (नीमहकीम )से इलाज कराना ख़राब है।"
                    

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